2006 में बने वनाधिकार कानून में वन भूमि से संबंधित कोई भी निर्णय आदिवासी समुदाय की एक विशेष कमेटी लिया करती थी। उसकी सहमति के बिना जंगल भूमि पर कोई भी प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं हो सकता था
2006 में बने वनाधिकार कानून में वन भूमि से संबंधित कोई भी निर्णय आदिवासी समुदाय की एक विशेष कमेटी लिया करती थी। उसकी सहमति के बिना जंगल भूमि पर कोई भी प्रस्ताव स्वीकार्य नहीं हो सकता था