Neeraj Singh Rajpurohit
(Correspondent Rkhulasa)
नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त 2019 के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने कहा कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में हो चुनाव हों। राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल हो। पढ़िए सुप्रीम कोर्न ने क्या कुछ कहा।
•सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त 2019 के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया।
•कोर्ट ने कहा कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में हो चुनाव हों।
•राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल हो।
॰जम्मू कश्मीर में धारा 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कही ये मुख्य बातें॰
- विलय पत्र पर हस्ताक्षर होने के बाद जम्मू-कश्मीर के पास संप्रभुता का कोई तत्व नहीं है।
- जम्मू-कश्मीर के लिए कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं।
- राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा को चुनौती मान्य नहीं है।
- राष्ट्रपति की शक्ति का प्रयोग राष्ट्रपति शासन के उद्देश्य के साथ उचित संबंध होना चाहिए।
- राज्य के लिए कानून बनाने की संसद की शक्ति कानून बनाने की शक्ति को बाहर नहीं कर सकती।
- अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था।
- जब संविधान सभा भंग कर दी गई तो सभा की केवल अस्थायी शक्ति समाप्त हो गई और राष्ट्रपति के आदेश पर कोई प्रतिबंध नहीं रहा8. सीओ 272 का पैरा 2 जिसके द्वारा अनुच्छेद 370 को अनुच्छेद 367 में संशोधन करके संशोधित किया गया था, गलत था क्योंकि व्याख्या खंड का उपयोग संशोधन के लिए नहीं किया जा सकता है।
- राष्ट्रपति द्वारा सत्ता का उपयोग दुर्भावनापूर्ण नहीं था और राज्य के साथ किसी सहमति की आवश्यकता नहीं थी।
- धारा 370(1)(डी) के तहत शक्ति के प्रयोग में सीओ 272 का पैरा 2, भारतीय संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू-कश्मीर में लागू करना वैध था।
- राष्ट्रपति द्वारा सत्ता का निरंतर प्रयोग दर्शाता है कि एकीकरण की क्रमिक प्रक्रिया जारी थी। इस प्रकार CO 273 वैध है।
- जम्मू-कश्मीर का संविधान क्रियाशील है और इसे निरर्थक घोषित कर दिया गया है।
- राष्ट्रपति द्वारा सत्ता का उपयोग दुर्भावनापूर्ण नहीं है।
- एसजी ने बयान दिया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। हम लद्दाख को अलग करने के फैसले को बरकरार रखते हैं। हम चुनाव आयोग को पुनर्गठन अधिनियम और राज्य के दर्जे की धारा 14 के तहत जल्द से जल्द चुनाव कराने का निर्देश देते हैं।
बता दें 370 हटाने का विरोध कर रहे कुछ याचिकाकर्ताओं की दलील है कि 1957 के बाद बिना विधानसभा की मंजूरी के अनुच्छेद 370 को हटाना असंवैधानिक है। वहीं इस पर कोर्ट में केंद्र सरकार ने दलील दी है कि इस मामले में किसी भी प्रकार की संवैधानिक धांधली नहीं हुई है।