राजधानी दिल्ली में: कालकाजी मंदिर में चुन्नी न देने पर सेवादार की पीट-पीटकर हत्या..पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद!

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कालकाजी मंदिर के सेवादार की शुक्रवार देर रात हुई मारपीट में मौत हो गई। रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने बताया कि देर रात मंदिर में प्रसाद को लेकर हुआ झगड़ा हिंसा में बदल गया। इस दौरान एक 35 साल के मंदिर सेवादार की मौत हो गई, जो एक दशक से भी ज़्यादा समय से वहां काम कर रहा था।

इलाज के दौरान सेवादार की मौत

रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने कहा, रात करीब साढ़े नौ बजे मंदिर परिसर में झगड़े की सूचना पुलिस को मिली। जब पुलिस की एक टीम मौके पर पहुची, तो पता चला कि कुछ लोग मंदिर में दर्शन के लिए आए थे और बाद में सेवादार योगेंद्र सिंह से चुन्नी प्रसाद की मांग की।

पुलिस ने बताया कि इस बात को लेकर बहस शुरू हो गई और कथित तौर पर लोगों ने सिंह पर लाठियों से हमला कर दिया। लोगों ने उन पर लाठियां बरसाईं, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें आनन फानन में एम्स ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

घटना के एक वीडियो में पांच-छह लोगों का एक ग्रुप सिंह को लाठियों से पीटता हुआ दिखाई दे रहा है, जबकि वह ज़मीन पर बेसुध पड़े हैं। मारपीट की यह घटना राहगीर सदमे और दहशत में देख रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने बताया कि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हरदोई का रहने वाला पीड़ित पिछले 14-15 सालों से कालकाजी मंदिर में काम कर रहा था।

कालकाजी थाने में भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) (हत्या) और 3(5) (साझा इरादे) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों में से एक, दक्षिणपुरी निवासी 30 वर्षीय अतुल पांडे को लोगों ने मौके पर ही पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने बताया कि बाकी आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं।

वहीं, घटना के संबंध में बात करते हुए कालकाजी मंदिर के एक अन्य सेवादार राजू ने कहा, “मुझे जो पता चला है, उसके अनुसार रात 9 बजे के आसपास वे उसे धर्मशाला से ले गए। वहां 10-15 लोग थे। उनके पास लोहे की रॉड और लाठियां थीं और उन्होंने उसे पीट-पीटकर मार डाला। मृतक का नाम योगेश है… वे प्रसाद मांग रहे थे और योगेश ने उनसे कुछ मिनट रुकने को कहा, जिसके बाद उन्होंने उसे धमकाना शुरू कर दिया… ये लोग जब भी मंदिर आते, आक्रामक तेवर के साथ आते और हमसे उम्मीद करते कि हम उन्हें जो चाहिए वो दे दें…”