Toran Kumar reporter
अंबिकापुर: सरगुजा जिले के अंबिकापुर में संघ के स्वयंसेवकों का पथ संचलन हुआ. पथ संचालन के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में मंचीय कार्यक्रम भी हुआ. जिसमें संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों को संबोधित किया. अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि “भारत के सबलोग हिन्दू है. जो भी भारत को अपनी मातृभूमि मानता है वो हिन्दू है.” इस दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव फूल ड्रेस में नजर आए. वहीं बृजमोहन अग्रवाल, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल सहित कई भाजपा नेताओं की मौजूदगी दिखी.
सबका डीएनए एक
संघ प्रमुख मोनह भागवत ने संवयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के सब लोग हिन्दू है. जो भी भारत को अपनी मातृभूमि मानता है वो हिन्दू है. चाहे वो जिस भी धर्म को मानने वाला हो. जो भी वेशभूषा हो. ये सत्य है और इस सत्य को डंके की चोट पर संघ बोलता है. ये इसलिए क्योंकि सैकड़ों वर्ष से हम एक हैं. हम सब के पूर्वज एक हैं. 40 हजार सालों से हम सब का डीएनए एक है. अपनी-अपनी पूजा पर सब पक्के रहें. किसी की पूजा को बदलने का काम नहीं करो. सब रास्ते निकलकर एक ही जगह जाते हैं. अपने-अपने रास्ते सब चले. दूसरे के रीति-रिवाजों को भी स्वीकार करें
#WATCH सबके पूर्वज समान हैं, 40,000 वर्ष पहले से जो भारत था, काबुल के पश्चिम से छिंदविन नदी की पूर्व तक और चीन की तरफ की ढलान से श्रीलंका के दक्षिण तक जो मानव समूह आज है उनका DNA 40,000 वर्षों से समान है और तबसे हमारे पूर्वज समान हैं: RSS प्रमुख मोहन भागवत pic.twitter.com/Sqnm5ocUFT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 15, 2022
स्वार्थ के आधार पर जुड़ा समाज बार-बार टूटता है
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आगे कहा कि स्वार्थ के आधार पर जुड़ा समाज बार-बार टूटता है. सत्य के आधार पर जोड़ना है. हिंदुत्व एकता का सूत्र है. संघ को समझने का अच्छा तरीका है संघ में आना. शाखा में आना शुरू कर के ही संघ को जाना जा सकता है. कोई फीस नहीं लगता संघ की शाखा में आने का शक्कर कितना मीठा है खाकर ही जाना जा सकता है. अलगाव की बात चलती है. लेकिन सबको एक रहना है. सबके अलग-अलग देवी देवता है.
छोटी सोच के लोग करते हैं आपस में झगड़ा
किसी भी भगवान को नहीं मानने वाले लोग भी है. भारत में ये वेद काल से चली आ रही है. मेरा तुम्हारा कर के आपस में झगड़ा छोटी सोच के लोग करते हैं. यहां न पूजा एक है. न भाषा एक है. ऊपर से जात-पात भी है. फिर भी भारत है राजा बदलते रहे. लेकिन भारत वहीं रहा. भागवत ने कहा कि जैसे आकाश की तुलना नहीं किया जा सकता, वैसे ही संघ की तुलना नहीं किया जा सकता. हमलोग सस्त्र विद्या सीखते है. लेकिन हम पैरा मिलिट्री नहीं हैं. संघ के बारे में पढ़ लिखकर भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता.