Neeraj Singh Rajpurohit (Correspondent Jaipur)
जयपुर: इन दिनों ग्रेटर नगर निगम के अधिकारी राजस्व की चिंता छोड़ अपनी मस्ती में मस्त नजर आ रहे है, ये आलम तो तब है जब निगम को करोडों रुपए का राजस्व नुकसान हो चुका है. कॉलोनियों के मुख्य द्वार पर अवैध होर्डिंग लगा कंपनी अपना प्रचार कर रही है. इस संबध में ग्रेटर नगर निगम के सभी जोन उपायुक्तों को करीब एक सप्ताह पहले आदेश भी जारी कर दिया गया कि सभी जोन उपायुक्त इस संबंध में सर्वे करा संबधित कंपनियों के खिलाफ कार्यवाई अमल में लाएं, लेकिन कार्रवाई तो दूर अभी जोन उपायुक्त इनका सर्वे तक नहीं करा पाएं.
कमिश्नर के आदेश को जोन उपायुक्तों ने किया हवा हवाई:
-12 दिन बीत जाने के बाद भी आदेश पर नहीं कर पाए जोन उपायुक्त अमल
-18 अक्टूबर को ग्रेटर कमिश्नर ने जारी किया था आदेश
-सभी जोन उपायुक्तों को अवैध होर्डिंग हटाने के दिए थे निर्देश
-वहीं 7 दिन के अंदर कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट भिजवाने के दिए थे निर्देश
-लेकिन आज तक ना कार्रवाई हुई और ना ही कमिश्नर को पहुंची प्रगति रिपोर्ट
ग्रेटर नगर निगम कमिश्नर बीएल गोयल ने इसी माह 18 तारीख कॉलोनियों के मुख्य द्वार पर लगे विभिन्न कंपनियों के अवैध होर्डिंग पोस्टर को हटाने सहित इनकी सर्वे रिपोर्ट करवाने को लेकर सभी जोन उपायुक्तों को अतिआवश्क आदेश जारी किया था, लेकिन ग्रेटर नगर निगम के जोन उपायुक्तों को कमिश्नर साहब के इस आदेश का कोई फ्रक देखने को नहीं मिला. यहीं कारण है कि 12 दिन बीत जाने के बाद भी कॉलोनियों के मुख्य द्वार पर लगे अवैध होर्डिंग ना तो हट पाए और ना ही इनके संबध में कोई कारय्वाई अमल में लाई गई.ये आलम तो जब है जब कमिश्नर साहब ने खुद आदेश जारी किए थे जरा सोचिए अगर ऐसे ही चलता रहा तो निगम के राजस्व में करोडों रुपए की कमी लगातार देखने को मिलेगी.
कॉलोनियों के मुख्य द्वार पर कंपनियों के अवैध पोस्टरों की भरमार:
-तय मानक से ज्यादा के साइज के लगाए गए है होर्डिंग और पोस्टर
-ऐसे में निगम को इन कंपिनियों से वसूलना था एडवरटाइजमेंट शुल्क
-लेकिन आपसी मिलीभगत के चलते आज तक इन पर नहीं हो पाई कोई कार्रवाई
-और निगम के खजाने में आने वाली करोड़ों की राशि जा रही कही दूसरी जगह
अगर नगर निगम नियमों के हिसाब से कॉलोनियों के मुख्य द्वार पर लगे विभिन्न कंपनियों के होर्डिंग और पोस्टरों पर कार्रवाई करता तो निगम के कोष में करोड़ों की राशि जब्त होती और हर साल ये कंपनियां नियम अनुसार एडवरटाइजमेंट शुल्क निगम को जमा कराती लेकिन ना तो निगम ने कार्रवाई करने की जहमत उठाई और ना ही इनसे शुल्क वसूल किया. लिहाजा आज हालत ये हो गई है कि ये कंपनियां बेधड़क होकर शहर में इस तरह मनमर्जी अपना प्रचार प्रसार कर रही है, जिसके चलते निगम को राजस्व की हानी हो रही है. वहीं निगम ने इस संबध में आज तक कोई सर्वे रिपोर्ट कराई जिससे ये पता लग सके की कितनी कंपनियां इस तरह से निगम के राजस्व को चूना लगा रही है.ग्रेटर कमिश्नर के आदेश के बाद भी निगम के जोन उपायुक्त अपनी मस्ती में चूर होकर आदेश का पालन नहीं कर रहे है. लिहाजा नगर निगम को रोज करोड़ों रुपए का चूना लग रहा है और अगर ये ही हालात रहे तो कमिश्नर का इकबाल भी ग्रेटर नगर निगम में मजबूत नहीं हो पाएगा.