नई दिल्ली- म्यांमार के चिन राज्य में सैन्य शासन और सशस्त्र नागरिक समूह पीडीएफ के बीच हिंसक झड़प लगातार जारी है जिसके चलते पीडीएफ ने म्यांमार के कई सैन्य शिविरों पर कब्जा कर लिया है. वहीं, यहां के आम नागरिक जान बचाने के लिए भारत के मिजोरम में भागकर आ गए हैं. इन शरणार्थियों को मिजोरम के सीमावर्ती गांव जोखावथार में बने शिविरों में अस्थायी रूप से जगह मिल दी गई है. इन शिविरों में रहने वाले लोग वापस अपने घर जाना चाहते हैं. हालांकि, वह डरे हुए भी हैं.
Mizoram | A Myanmar refugee from the Bethel refugee camp, Vanlalruata says, "We came here in September 2021 as refugees. As of now, there are eight pregnant women in this camp…The Mizoram government and NGOs are supporting and helping us. They have provided us with medicines.… https://t.co/ekVYeloy5X pic.twitter.com/cpk3JUN9vu
— ANI (@ANI) November 18, 2023
पता नहीं कब हालात सही होंगे
जोखावथार के बेथेल शरणार्थी शिविर में अपने परिवार के साथ शरण लिए म्यांमार के चिन राज्य के रहने वाले वनलालरुआता का कहना है कि घर जाने के लिए फिलहाल हालात सही नहीं है. मौजूदा अशांति और हिंसा के बीच वे चिंता और डर में दिन बिता रहे हैं. उनका कहना है कि वह वापस जाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करने से बहुत डरते हैं. पता नहीं कब हालात सही होंगे.
भारत में रखा जा रहा म्यांमार के लोगों का ख्याल
यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए) के वित्तीय सचिव एफ बियाक्टिनसांगा के मुताबिक, म्यांमार से भारत में लोगों की एक बड़ी संख्या अनुमानित रूप से 5,000 से 6,000 के बीच हैं. इन लोगों का साथ कई गैर सरकारी संगठन और जिला प्रशासन दे रहे हैं. म्यांमार के नागरिक यहां शांतिपूर्ण तरीके से रह रहे हैं. उनकी हर तरह से मदद की जा रही है. उन्होंने बताया कि नागरिकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं जिनका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. बच्चों के लिए दाल, सेरेलैक, दूध समेत डायपर जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसके साथ ही ठंड से बचने के लिए कंबल और गद्दों का भी इंतजाम किया गया है.