Toran Kumar reporter..27.6.2023/✍️
Manipur Violence: हिंसाग्रस्त मणिपुर में उद्रवादी सेना के खिलाफ महिलाओं को ढाल बना रहे हैं. महिलाओं को आगे कर उग्रवादी हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. महिलाएं सेना के ऑपरेशन को रोक रही हैं. महिलाओं की भीड़ सेना को उग्रवादियों के ठिकानों तक पहुंचने से रोक रही है. मणिपुर में सुरक्षा बलों के अभियानों में महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ के हस्तक्षेप की अतीत में कई घटनाओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना ने कहा है कि सुरक्षा कर्मियों की आवाजाही को अवरुद्ध करना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि कानून और व्यवस्था बहाल करने के उनके प्रयासों के लिए भी हानिकारक है.
सोमवार को एक ट्वीट में, भारतीय सेना की स्पीयर कोर ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें महिलाओं द्वारा सुरक्षा बलों के अभियानों में जानबूझकर हस्तक्षेप करने से लेकर उनके मार्ग को रोकने की कई घटनाओं को दिखाया गया है.
Women activists in #Manipur are deliberately blocking routes and interfering in Operations of Security Forces. Such unwarranted interference is detrimental to the timely response by Security Forces during critical situations to save lives and property.
— SpearCorps.IndianArmy (@Spearcorps) June 26, 2023
🔴 Indian Army appeals to… pic.twitter.com/Md9nw6h7Fx
सेना ने कहा कि मणिपुर में महिलाएं जानबूझकर मार्गों को अवरुद्ध कर रही हैं और सुरक्षा बलों के काम में बाधा डाल रही हैं. भारतीय सेना की स्पीयर कोर ने एक ट्वीट में कहा, भारतीय सेना आबादी के सभी वर्गों से शांति बहाल करने के हमारे प्रयासों का समर्थन करने की अपील करती है. ऐसा ही एक हालिया उदाहरण पिछले हफ्ते हुआ जब सुरक्षा बलों को प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन के 12 उद्रवादियों को रिहा” करना पड़ा, जिसमें स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तम्बा भी शामिल था जो 2015 के 6 डोगरा घात मामले का मास्टरमाइंड है, जिसमें सेना के 18 लोग मारे गए थे.
उधर, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के इस राज्य में हिंसा की बदलती प्रकृति पर चिंता जताई है. खबरों के अनुसार, शाह इंफाल घाटी के बाहरी क्षेत्रों में हिंसा के बाद अब जिलों में नागरिकों के बीच अशांति फैलने को लेकर चिंतित हैं. दिल्ली से लौटने के बाद इंफाल में संवाददाताओं से बातचीत में सिंह ने कहा, “बाहरी क्षेत्रों में गोलीबारी से लेकर घाटी के जिलों में नागरिक असंतोष तक, हिंसा की बदलती प्रकृति अमित शाह जी के लिए चिंता का विषय बन गई है.
गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच हुए जातीय संघर्ष में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं. पूर्वोत्तर के इस राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है, जिसमें से ज्यादातर इंफाल घाटी में रहती है, जबकि नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 फीसदी के आसपास है और ये ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.