रायपुर: देश के दक्षिण-पूर्वी समुद्री तट पर आये भीषण चक्रवाती तूफ़ान का तटीय इलाकों में असर कम हो चुका है जबकि अब इस तूफ़ान का प्रभाव मध्य भारत में दिखाई देने लगा है। बात करें छत्तीसगढ़ की तो यहां भी ‘मोन्था’ का अक्सर देखने को मिल रहा है। मोन्था की वजह से आज छत्तीसगढ़ के कई जिलों में बारिश की सम्भावना जताई गई है, जबकि दुर्ग और भिलाई इलाकों में आज सुबह से ही बूंदाबांदी शुरू है। पिछले दो दिनों से प्रदेश भर के आसमान में बदल छाये हुए है।
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक मोंथा के कमजोर पड़ने और पश्चिम की ओर आगे बढ़ने से सरगुजा संभाग के एक दो स्थानों पर भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। हालांकि 31 अक्टूबर से बारिश में कमी का पूर्वानुमान भी लगाया गया है।
मोन्था तूफ़ान से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को डॉ. बीआर अंबेडकर कोनसीमा जिले में चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया । सीएम नायडू ने अमरावती में चक्रवात मोन्था से प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण भी किया। इस बीच, चक्रवात ‘मोंथा’ के प्रभाव पर चर्चा करते हुए विशाखापत्तनम चक्रवात चेतावनी केंद्र के सुरक्षा अधिकारी नागा भूषणम ने बताया कि एनटीआर, पलनाडु और प्रकाशम जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है और मछुआरों को आने वाले दिनों में समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
मछुआरों के लिए जारी किया गया निर्देश
भूषणम ने बताया, “मौसम प्रणाली अगले 24 घंटों में दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो सकती है, जिससे एनटीआर, पालनाडु, प्रकाशम, श्री पोट्टी श्रीरामुलु और गुंटूर जैसे जिले प्रभावित हो सकते हैं। भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है, हवा की गति 60-70 किमी/घंटा तक पहुँच सकती है, जो 80 किमी/घंटा तक पहुँच सकती है। एनटीआर, पालनाडु और प्रकाशम जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। मछुआरों को आज और कल समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।” इस बीच, तेलंगाना में चक्रवात मोर्था के प्रभाव के कारण वारंगल जिले में भारी बारिश हुई।

