Breaking:31 साल बाद अब्दुल करीम टुंडा 1993 सीरियल ब्लास्ट मामले के सभी आरोपों से बरी.अजमेर टाडा कोर्ट ने सुनाया फैसला…

राजस्थान की कोर्ट ने 1993 के बम धमाके मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा (81) को बरी कर दिया है. राजस्थान के अजमेर की टाडा (TADA) कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. कोर्ट ने हादसे के 31 साल बाद ये फैसला सुनाया है.

कोर्ट के फैसले पर टुंडा के वकील शफकत सुल्तानी ने कहा, ‘अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष है, आज कोर्ट ने यह फैसला सुनाया. अब्दुल करीम टुंडा को सभी धाराओं और सभी एक्ट में बरी कर दिया गया है. सीबीआई अभियोजन कोर्ट के सामने टाडा, आईपीसी, रेलवे अधिनियम, शस्त्र अधिनियम, या विस्फोटक पदार्थ अधिनियम में कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका.’

इरफान और हमीदुद्दीन को ठहराया दोषी

उन्होंने कहा, ‘हम शुरू से ही कह रहे थे कि अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष है. इरफान (70) और हमीदुद्दीन (44) को दोषी ठहराया गया है और जल्द ही सजा सुनाई जाएगी.’ बता दें कि, टाडा कोर्ट ने 30 सितंबर, 2021 को टुंडा और दो अन्य- इरफान उर्फ ​​पप्पू और हमीरुद्दीन के खिलाफ 5-6 दिसंबर 1993 की रात लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में विस्फोटों की साजिश रचने के आरोप तय किए थे.

1993 में हुए थे बम धमाके
बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर चार ट्रेनों में धमाके हुए थे. नई दिल्ली और हावड़ा जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस, सूरत-बड़ौदा फ्लाइंग क्वीन एक्सप्रेस और हैदराबाद-नई दिल्ली एपी एक्सप्रेस में हुए विस्फोटों में दो लोगों की मौत हो गई और कम से कम 22 घायल हो गए थे.

28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने इस मामले में 16 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने चार लोगों को बरी कर दिया था और बाकी की सजा बरकरार रखी थी. इस मामले में टुंडा भी दहशत फैलाने का आरोपी था.

कौन है अब्दुल करीम टुंडा?
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के पिलखुआ के निवासी टुंडा का कई बम विस्फोट मामलों में नाम आया है. विशेष रूप से, फरवरी 2023 में, उसे सबूतों की कमी के कारण 1997 के रोहतक बम विस्फोट मामलों में हरियाणा की एक ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी कर दिया गया था.

2013 में किया गया था गिरफ्तार
टुंडा को अगस्त 2013 में भारत-नेपाल सीमा के पास से पकड़ा गया था. उसे लश्कर-ए-तैयबा के बम विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है, उसे पहले 1996 के सोनीपत विस्फोट मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. टुंडा का दाऊद इब्राहिम से संबंध होने की भी खबरें खूब आती रही हैं.

अजमेर जेल में है बंद
फिलहाल अजमेर जेल में बंद टुंडा पर कई अन्य मामलों में आरोप हैं, जिससे 1993 के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में बरी होने के बावजूद वो जेल में ही रहेगा. बम बनाते समय अपना एक हाथ खोने के बाद अब्दुल करीम का नाम ‘टुंडा’ पड़ गया.

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