बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह जेल से रिहा, गोपालगंज के डीएम की हत्या मामले में काट रहे थे आजीवन कारावास की सजा

Toran Kumar reporter…27.4.2023/✍️

बिहार के बाहुबली नेता व पूर्व आरजेडी सांसद आनंद मोहन सिंह को गुरुवार सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया. इसकी पुष्टि एक जेल अधिकारी ने की है. बिहार सरकार ने हाल ही में आनंद मोहन समेत 27 दोषियों को रिहा करने की अनुमति देते हुए जेल नियमों में संशोधन किया था. वह 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे.

बता दें कि बिहार सरकार द्वारा 14 साल कैद की अवधि पूरी कर लेने वाले जिन कैदियों को रिहा किया गया है उनमें एक ऐसे कैदी का भी नाम है जिसकी मृत्यु महीनों पहले हो चुकी है.जेल अधीक्षक ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘रिहा किये जाने वाले कैदियों की सूची में 93 वर्षीय प्रीतम राय का भी नाम है जिनकी मृत्यु पिछले साल नंवबर में ही हो गई थी. उन्होंने कहा कि एक अन्य कैदी रामाधार राम को भी रिहा नहीं किया जा सकता क्योंकि उसने अदालत द्वारा लगाए गए जुर्माने को नहीं भरा है.अधिकारी ने कहा, ‘‘रामाधार राम के परिवार को रिहाई आदेश की सूचना दी गई है.उसे जल्द रिहा किया जा सकता है अगर परिवार जुर्माने की राशि संबंधित अदालत में जमा करा दे.

आनंद मोहन सहित 27 लोगों की रिहाई को लेकर प्रदेश की सियासत गर्म है. इस बीच, पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद ने अधिकारी के परिजनों से मिलने की इच्छा व्यक्त की है. राजद के विधायक चेतन आनंद ने बुधवार को यहां कहा कि अधिकारी जी. कृष्णया के परिवार से पूरी सहानुभूति है. उन्होंने इच्छा जताई कि उनका परिवार हैदराबाद जाकर जी.कृष्णया की पत्नी और बेटी से मिलना चाहता है. इसके लिए हैदराबाद में उन्होंने अपने लोगों से संपर्क साधा है, जो जी.कृष्णया की पत्नी के पास जायेंगे

उन्होंने कहा इस घटना के बाद दोनों परिवार ने काफी कुछ सहा है. दोनों परिवारों ने काफी दुख उठाए हैं. उन्होंने कहा कि अगर कृष्णया की पत्नी टी. उमा देवी राजी होंगी, उनसे मिलने जाएंगे. उन्होंने कहा कि भले उनके पिता अदालत द्वारा दोषी ठहरा दिए गए हों लेकिन वे दोषी नहीं हैं. माना जा रहा है कि अधिकारी जी. कृष्णया की हत्या के दोषी आनंद मोहन सहित 27 लोगों की रिहाई को लेकर में कई लोगों ने विरोध किया है. कृष्णया की पत्नी ने भी इस पर अपना विरोध दर्ज करवाया है. माना जा रहा है इसी विरोध को कम करने के लिए आनंद मोहन के परिवार ने ऐसा निर्णय लिया है.

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