Aditya L1 Solar Mission: सूरज के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का ‘आदित्य एल-1’ की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. आज सुबह 11:50 बजे आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा (Sriharikota) स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre- SDSC) ने ISRO आदित्य एल-1 (Aditya L1) को लॉन्च करेगा. आदित्य L1 को भी ISRO के भरोसेमंद रॉकेट PSLV-C57 के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा. सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल1’ को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1’ बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे. इस मिशन को ऐसे समय भेजा जा रहा है जब भारत ने बीते 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर इतिहास रच दिया था. ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि सूर्य मिशन को सटीक त्रिज्या तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे. ‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
लॉन्चिंग से पहले मंदिर में पूजा
- लॉन्चिंग से एक दिन पहले शुक्रवार को ISRO प्रमुख एस सोमनाथ (ISRO Chief S Somanath) ने तिरुपति के चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की. चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर के कार्यकारी अधिकारी श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि बीते करीब 15 साल से, रॉकेट के प्रक्षेपण से पहले ISRO के अधिकारियों का इस मंदिर में आना एक परंपरा बन गई है. चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन की पूर्वसंध्या पर भी एस सोमनाथ मंदिर आए थे.
- पूजा के बाद पत्रकारों से बात करते हुए इसरो प्रमुख ने कहा, ‘आज आदित्य एल1 की उलटी गिनती शुरू हो रही है. यह कल सुबह 11.50 बजे लॉन्च होगा. आदित्य एल1 सैटेलाइट सूर्य का अध्ययन करने के लिए है. उन्होंने बताया कि एल1 बिंदु (L1 Point) तक पहुंचने में इसे 125 दिन लगेंगे. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्षेपण है
- ISRO के मुताबिक, सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु हैं, और प्रभामंडल कक्षा में ‘एल1’ बिंदु से उपग्रह सूर्य को बिना किसी बाधा/बिना किसी ग्रहण के लगातार देखकर अध्ययन संबंधी अधिक लाभ प्रदान करेगा. इसरो ने कहा, ‘इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा.’
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- इस जटिल मिशन के बारे में ISRO ने कहा कि सूर्य सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है. ISRO ने कहा कि सूर्य का अध्ययन करके आकाशगंगा के साथ-साथ अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है.
- सूर्य पर कई विस्फोटक घटनाएं होती रहती हैं, जिससे यह सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है. अगर ऐसी विस्फोटक सौर घटनाएं पृथ्वी की ओर निर्देशित होती हैं, तो यह पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष वातावरण में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं. ISRO के अनुसार, इस तरह की घटनाओं से अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियों में गड़बड़ी हो सकती है, इसलिए इस तरह की घटनाओं की पूर्व चेतावनी पहले से ही सुधारात्मक उपाय करने के लिए महत्वपूर्ण है.
- अंतरिक्ष वैज्ञानिक ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के अधिक शक्तिशाली संस्करण ‘एक्सएल’ का उपयोग कर रहे हैं, जो शनिवार को सात उपकरणों के साथ अंतरिक्ष यान को ले जाएगा. इसी तरह के पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण का इस्तेमाल 2008 में चंद्रयान-1 मिशन और 2013 में मंगल ग्रह से संबंधित मार्स ऑर्बिटर मिशन (मॉम) में किया गया था.
7.अंतरिक्ष यान में लगे कुल सात उपकरणों में से चार सीधे सूर्य को देखेंगे, जबकि शेष तीन ‘एल1’ बिंदु पर कणों और क्षेत्रों का वास्तविक अध्ययन करेंगे. शुरू में, ‘आदित्य-एल1’ अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसे अधिक दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा और बाद में इसमें लगी प्रोपल्शन मॉड्यूल का उपयोग कर अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु ‘एल1’ की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा. जैसे ही अंतरिक्ष यान ‘एल1’ की ओर बढ़ेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा.
8.पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद, इसका क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा और बाद में, अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसे इच्छित एल1 बिंदु तक पहुंचने में लगभग चार महीने लगेंगे. उम्मीद है कि आदित्य-एल1 के उपकरण सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, गतिशीलता और अंतरिक्ष मौसम की समस्याओं को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे.
9.आदित्य-एल1’ का प्राथमिक उपकरण ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ’ (वीईएलसी) इच्छित कक्षा तक पहुंचने पर विश्लेषण के लिए जमीनी केंद्र को प्रतिदिन 1,440 तस्वीरें भेजेगा.
10.आदित्य एल1 की परियोजना वैज्ञानिक और वीईएलसी की संचालन प्रबंधक डॉ. मुथु प्रियाल ने कहा, ‘तस्वीर चैनल से प्रति मिनट एक तस्वीर आएगी. यानी 24 घंटे में लगभग 1,440 तस्वीर हमें जमीनी स्टेशन पर प्राप्त होंगी.’ इस मिशन को अंजाम देने में यहां इसरो की एक प्रमुख शाखा द्वारा विकसित तरल प्रणोदन प्रणाली अहम भूमिका निभाएगी.