बिहार के बक्सर जिले के एक व्यक्ति को शारीरिक हमले और फायरिंग के एक मामले में बरी कर दिया गया, जिसमें उसका नाम चार दशक पहले 10 साल की उम्र में दर्ज किया गया था. मामला सितंबर 1979 का है, जब लोगों का एक समूह मुरार थाना क्षेत्र के चौगई गांव के एक स्थानीय व्यापारी के साथ मारपीट और हत्या के प्रयास में कथित रूप से शामिल था. मुन्ना सिंह महज 10 साल 5 महीने का था, जब व्यापारी ने एफआईआर में भी मुन्ना सिंह का नाम लिया था.
मामले की सुनवाई बक्सर जिला अदालत के किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष 2012 से चल रही थी और उससे पहले जिला अदालत में. मुन्ना सिंह पर भारतीय दंड संहिता की धारा 148 और 307 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
मामले की सुनवाई के दौरान किशोर न्याय बोर्ड के पीठासीन अधिकारी डॉ. राजेश सिंह ने बार-बार शिकायतकर्ता और गवाहों को नोटिस जारी किया, लेकिन उनमें से कोई भी उसके सामने पेश नहीं हुआ और उनकी अनुपस्थिति में मुन्ना सिंह को बरी कर दिया गया.
मुन्ना सिंह अब 53 साल का है. उसने फैसले पर संतोष व्यक्त किया, लेकिन मामले के लंबे समय तक लंबित रहने पर यह कहते हुए खेद जताया कि न्याय में बहुत देरी हुई है.