मदरसे में ₹20 लाख के नकली नोट… BJP MLA बोले- भारत को अस्थिर करने का षड्यंत्र, मंत्री ने कहा- पॉलिसी बनाएं CM

इंदौर। प्रतिबंधित संगठन सिमी का गढ़ रहे खंडवा जिले के ग्राम पेठिंया (मछोंडी रैय्यत) में रविवार को मदरसे के ऊपर बने कमरे से पुलिस ने 19 लाख 78 हजार रुपये के नकली नोट बरामद किए। जावर थाना पुलिस ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया। 33 वर्षीय मौलाना जुबेर अंसारी इसी कमरे में रहकर मस्जिद में नमाज पढ़ाने का कार्य करता था।

कमरे में रखे बैग से पुलिस ने पांच-पांच सौ के नकली नोटों की गड्डियां जब्त की। इनमें 164 नोट बिना कटे हुए मिले हैं। साथ ही नोटों को काटने वाला कटर भी जब्त किया है।

मालेगांव कनेक्शन, मस्जिद के सदर ने पुलिस को दी सूचना

दो दिन पहले महाराष्ट्र पुलिस ने मालेगांव में जुबेर और उसके साथी को दस लाख के नकली नोटों के साथ गिरफ्तार किया था। दोनों बुरहानपुर के मूल निवासी हैं। पेठिंया गांव की मस्जिद के सदर कलीम अपने साथी सलीम के साथ रविवार को जावर पुलिस के पास पहुंचे और बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस द्वारा नकली नोटों के साथ जुबेर को गिरफ्तार करने की न्यूज देखी है।

जुबेर तीन माह से मदरसे के ऊपर बने कमरे में रह रहा है। 26 अक्टूबर को जुबेर सदर को आवश्यक कार्य से बुरहानपुर जाने का बोलकर निकला था। सदर की सूचना पर जावर पुलिस ने तत्परता दिखाई और महाराष्ट्र पुलिस से संपर्क कर कर कमरे की छानबीन की। पुलिस ने यहां मिले नोटों की गिनती शुरू की। इनमें 164 नोट बिना कटे मिले, एक शीट पर चार-चार नोट का सेट था, बाकी आधे से अधिक नोट कटे हुए मिले हैं।

अकेला रहता है मौलाना

तीन माह से जुबेर पेठिंया गांव में मस्जिद के ऊपर रहने के साथ नमाज पढ़ाने का कार्य कर रहा था। इससे पहले वह जावर थाना क्षेत्र के गांव डूंगरी में भी लगभग तीन माह रहा था। जुबेर ने बीवी को तलाक दे दिया था। अभी अकेला ही रहता था।

रविवार को कार्रवाई दौरान हेडक्वार्टर डीएसपी अनिल चौहान, छैगांव माखन टीआइ विक्रम धार्वे, जावर टीआइ श्याम भादले सहित पुलिस बल मौजूद था।

बड़ा सवाल… पुलिस के खुफिया तंत्र को क्यों नहीं मिली जानकारी?

पूरे घटनाक्रम ने मध्य प्रदेश पुलिस के खुफिया तंत्र पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। माना जाता है कि सिमी का गढ़ होने के कारण खंडवा पुलिस अतिरिक्त अलर्ट रहती है। यही नहीं, आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) के साथ ही आइबी के अधिकारी भी यहां की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। फिर नकली नोटों की जानकारी क्यों नहीं मिल सकी?

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