Toran.Kumar reporter..19.8.2023/✍️
तलाक (Divorce Case) के एक मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने कहा, “पति को काला कह अपमानित करना, इस वजह से पति से दूरी बनाना और अवैध संबंधों के झूठे आरोप लगाना क्रूरता है. ये तलाक का एक मजबूत आधार है.”
जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस अनंत रामनाथ हेगड़े की बेंच ने 44 वर्षीय पति को अपनी 42 वर्षीय पत्नी से तलाक लेने की अनुमति दी. साथ ही तलाक की अनुमति देने से इनकार करने के फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द किया.
सबूतों को देखने से पता चलता है कि पत्नी काला रंग होने वजह से पति का बार-बार अपमान करती थी, उसे प्रताड़ित करती थी और वो इसी वजह से पति को छोड़कर भी चली गई. महिला ने अपने पति पर अवैध संबंधों के झूठे आरोप लगाए हैं. ये क्रूरता है.”
क्या है पूरा मामला?
साल 2007 में दोनों की शादी हुई. उनकी एक बेटी भी है. साल 2012 में पति ने पत्नी से तलाक के लिए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पति ने आरोप लगाया कि पत्नी उसे काला कह अपमानित करती है. इसके अलावा पत्नी ने भारतीय दंड संहिता (IPC) के सेक्शन 498A के तहत कथित अपराध के लिए पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ “झूठी” शिकायत दर्ज कराई. और तो और इसी बहाने वो घर छोड़कर चली गई.
महिला ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि पति का किसी दूसरी महिला के साथ अवैध संबंध है. महिला ने ये भी आरोप लगाया कि उसका पति उसके साथ मारपीट करता था और सुसराल वालों का व्यवहार भी अच्छा नहीं था.
पति के अवैध संबंध के आरोप पर पत्नी की ओर से पेश किए गए सबूतों पर कोर्ट ने गौर किया और कहा,
“पति का किसी दूसरी महिला के साथ अवैध संबंध से जुड़ा कोई सबूत नहीं है. अवैध संबंध का आरोप निराधार है. अगर दलील में ऐसा आरोप लगाया जाता है, तो निश्चित रूप से ये निष्कर्ष निकालकर आता है कि जिस व्यक्ति के खिलाफ ऐसा आरोप लगाया गया है, वो मानसिक क्रूरता का शिकार होगा.”
कोर्ट ने आगे कहा कि फैमिली कोर्ट ने फैसले में गलती की है.
अदालत ने कहा,
“पति का कहना है कि पत्नी उसका काला रंग होने की वजह से उसे अपमानित करती थी। पति ने ये भी कहा कि वो बच्ची की खातिर ये सब सहता रहा.”
अदालत ने फैसले में कहा कि पति पत्नी साथ नहीं रहना चाहते हैं. पत्नी ने पति के पास वापस लौटने की कोई कोशिश नहीं की. सबूतों से साबित होता है कि उसे पति का काला रंग होने की वजह से इस रिश्ते में कोई दिलचस्पी नहीं थी, उसे पसंद नहीं करती थी.
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट को विवाह खत्म करने का आदेश दिया.