Toran Kumar reporter
Murder Case: साल 2011 की बात है. उस समय अमित 18 साल के थे. BA की पढ़ाई कर रहे थे. अपनी बहने के गांव मिलने गए थे. यहां एक पुलिस वाले की हत्या कर दी गई. कुल 17 लोगों की गिरफ्तारी हुई. उसमें अमित का भी नाम था. हत्या के आरोप में अमित को 2 साल जेल में बिताना पड़ा. ये वही अमित हैं जिन्होंने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए पहले वकालत की पढ़ाई की. फिर खुद का केस लड़कर अपने आप को बेगुनाह साबित किया.
क्या था पूरा मामला?
उत्तर प्रदेश के बागपत का मामला है. अमित चौधरी को 12 साल पहले एक पुलिस वाले की हत्या के आरोप में जेल जाना पडा. दो साल जेल में बंद रहने के बाद साल 2013 में अमित जब बाहर आए तो सब बदल चुका था. वो लोगों के तानों से तंग आकर गुड़गाव रहने के लिए चला गया. वहां उसने गुजर बसर करने के लिए छोटे-मोटे काम किए.
अमित चौधरी बताते हैं कि वो तक़रीबन 2 साल तक जेल में कैद थे. उस दौरान उन्होंने कई बेगुनाह को जेल में बंद देखा, जो अपने केस की पैरवी नहीं कर पा रहे थे. लेकिन जमानत पर बाहर आने के बाद अमित ने वकालत की पढ़ाई की और खुद का केस लड़ा. लगभग 12 साल बाद अदालत ने उन्हें बेगुनाह करार दिया है.
अगर अमित ने पुलिस वाले की हत्या की थी तो फिर वो कैसे जेल से बाहर आया?
ये सवाल आना वाजिब है. जवाब भी सुन लो. जिन 17 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था उसमें एक अमित नाम का लड़का था. लेकिन वो अमित की जगह पुलिस अमित चौधरी को गिरफ्तार करके ले गई. आरोप तय हुए. जेल की सजा मिली.
हालांकि अब अमित आजाद हैं. जेल से निकलने के बाद उन्होंने ग्रेजुएशन पूरी की. इसके बाद पहले LLB, फिर LLM किया. खुद का केस लड़कर अपने माथे पर लगे दाग को मिटाने में भी कामयाब रहे. अब अमित क्रिमिनल जस्टिस में PhD करना चाहते हैं.