मध्य प्रदेश-2010 मे हुई हत्या क़े केस मे उसे पुलिस ने जेल भेजा था। लोवर कोर्ट मे केस साबित हुआ और उसे उम्र कैद की सजा मिली।
HC मे सुनवाई क़े दौरान महेश के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि उनके क्लाइंट ने पहले ही 10 साल और 8 महीने की जेल काट ली है, और उसकी सजा के समय को ध्यान में रखते हुए उसकी सजा को निलंबित किया जाना चाहिए। वकील ने ये भी कहा कि महेश अच्छे कामों के जरिए समाज की सेवा करना चाहता है और इसीलिए उसे जमानत दी जाए।
जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस पुष्पेंद्र यादव की डिवीजन बेंच ने महेश शर्मा की उम्रकैद की सजा पर रोक लगाने का फैसला दिया और उसे 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया। इसके साथ ही उसे 10 पौधे लगाने का भी आदेश दिया गया। कोर्ट ने कहा कि इस अपील के निपटारे तक जेल की सजा पर रोक रहेगी, बशर्ते वह जुर्माने की राशि भी जमा कर दे।
2021 में महेश शर्मा को एक ट्रायल कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या)/149 (गैरकानूनी तौर पर इकट्ठा होना) के तहत दोषी ठहराया था. ट्रायल कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ महेश शर्मा ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में याचिका दी. इसमें उसने हत्या के मामले में दोषी ठहराने और आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी.