सुप्रीम कोर्ट आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ मारे गए IAS अफसर जी कृष्णैया की पत्नी की याचिका पर 8 मई को करेगा सुनवाई

Toran Kumar reporter..1.5.2023/✍️

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया (IAS officer G. Krishnaiah) की 1994 में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन ( former Bihar MP Anand Mohan Singh)को समय से पहले रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 8 मई को सुनवाई करने पर सोमवार को सहमत हो गया. भीड़ की हिंसा में जान गंवाने वाले जिलाधिकारी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया के वकील द्वारा मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किये जाने पर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि वह मामले पर 8 मई को सुनवाई करेगी.

बिहार की जेल नियमावली में संशोधन के बाद आनंद मोहन को 27 अप्रैल को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था. जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने अपनी याचिका में दलील दी है कि गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को सुनाई गई उम्रकैद की सजा उसके पूरे जीवनकाल के लिए है और इसकी व्याख्या महज 14 वर्ष की कैद की सजा के रूप में नहीं जा सकती.

मारे गए IAS जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है, जब मृत्यु दंड की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, तब उसका सख्ती से पालन करना होता है, जैसा कि न्यायालय का निर्देश है और इसमें कटौती नहीं की जा सकती. आनंद मोहन का नाम उन 20 कैदियों में शामिल है, जिन्हें जेल से रिहा करने के लिए राज्य के कानून विभाग ने इस हफ्ते की शुरूआत में एक अधिसूचना जारी की थी, क्योंकि वे जेल में 14 वर्षों से अधिक समय बिता चुके हैं.

बिहार जेल नियमावली में राज्य की महागठबंधन सरकार द्वारा 10 अप्रैल को संशोधन किये जाने के बाद आनंद मोहन की सजा घटा दी गई, जबकि ड्यूटी पर मौजूद लोकसेवक की हत्या में संलिप्त दोषियों की समय पूर्व रिहाई पर पहले पाबंदी थी.

बता दें कि तेलंगाना के रहने वाले जी. कृष्णैया की 1994 में एक भीड़ ने उस समय पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, जब उनके वाहन ने मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा से आगे निकलने की कोशिश की थी. तब आनंद मोहन विधायक था और शवयात्रा में शामिल था

Leave a Reply