उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi) में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी कैंपस (Gyanvapi Campus Survey) के सर्वे के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर आज सुनवाई करेगा. एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बीच सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करेगी क्योंकि वाराणसी की एक कोर्ट (Varanasi Court) ने कल (सोमवार) वहां के जिला प्रशासन को उस कैंपस के अंदर सर्वे स्थल को सील करने का निर्देश दिया, जहां सर्वेक्षण दल को कथित रूप से ‘शिवलिंग’ (Shivling) मिला है.
शीर्ष अदालत की मंगलवार के कामकाज की लिस्ट के अनुसार जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) और जस्टिस पी एस नरसिम्ह (Justice PS Narsimha) की बेंच वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली प्रबंधन समिति ‘अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद’ की याचिका पर सुनवाई करेगी. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एन वी रमन (CJI NV Ramana) की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा शुक्रवार को जारी लिखित आदेश में जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था.
हालांकि, पिछले शुक्रवार को, पीठ ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर धार्मिक परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ यथास्थिति के किसी भी अंतरिम आदेश को पारित करने से इनकार कर दिया था. लेकिन, चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने के लिए सहमत हो गई थी.
हमने कोर्ट में एप्लीकेशन दी और हमारे द्वारा मांग की गई कि यह बहुत बड़ा सबूत है और इसे सुरक्षा प्रदान की जाए। न्यायालय ने CRPF के कमांडेंट से कहा कि वे वहां पर तैनात रहेंगे और सबूत को सुरक्षा प्रदान करेंगे: हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु जैन
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 17, 2022
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ़ से बयान जारी करके कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद बनारस में थी और ज्ञानवापी मस्जिद रहेगी. उन्होंने कहा कि इसको मन्दिर करार देने की कोशिश करना फिरके वाराना मुनाफ़रत पैदा करने की साज़िश है. बोर्ड की तरफ़ कहा गया सर्वे का हुक्म और उस की रिपोर्ट की बुनियाद पर वज़ूख़ाने को बन्द करने की हिदायत सरासर नाइंसाफ़ी है. बोर्ड की मांग है कि सरकार इस मामले दख़ल दे और हाईकोर्ट के फैसले का इन्तेज़ार किया जाए. बोर्ड ने कहा कि सरकार 1991 के एक्ट के तहत तमाम इबादतगाहों की हिफाज़त करें, अगर सिर्फ़ ख्याली दलीलों से इबागाहों की हैसियत बदल जाएगी तो मुल्क अफ़रा तफ़री का शिकार हो जाएगा.