नोएडा, उत्तर प्रदेश: आपातकाल के दौरान 10 महीने जेल में रहे वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने बताया, “मुझे आज भी वह काली रात याद है, जब इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए आपातकाल लगाया था। हम सभी जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन का हिस्सा थे। उस रात हमें पता चला कि देश के सभी बड़े नेता, जिनमें जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी, प्रकाश सिंह बादल, चौधरी चरण सिंह, राज नारायण, लालकृष्ण आडवाणी शामिल थे, को गिरफ्तार कर लिया गया और देश के अलग-अलग स्थानों जैसे अंबाला, रोहतक, बेंगलुरु में भेज दिया गया। यूनिवर्सिटी में हमारे नेता अरुण जेटली थे। वे DUSU के अध्यक्ष थे। जब पुलिस उनके आवास पर पहुंची, तो उनके पिता ने उन्हें भागने में मदद की। मैं सिर्फ 17 साल का था और यूनिवर्सिटी में प्रथम वर्ष का छात्र था। जब अरुण जी यूनिवर्सिटी पहुंचे, तो हमने यूनिवर्सिटी में जुलूस निकाला और ‘तानाशाही मुर्दाबाद’, ‘हमारे नेताओं को रिहा करो’ के नारे लगाए…हमने देखा कि पुलिस हमें गिरफ्तार करने के लिए आ रही थी…अरुण जेटली को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में अंबाला की जेल में भेज दिया गया।
मैं और विजय गोयल साथ में थे और रात को हमें पता चला कि सुबह अख़बार नहीं आएंगे क्योंकि अख़बारों पर सेंसरशिप लागू कर दी गई थी और अभिव्यक्ति की आज़ादी को पूरी तरह कुचल दिया गया था…हमें BBC के ज़रिए पता चला कि देश में आपातकाल लगा दिया गया है। बाद में इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर आपातकाल की घोषणा की…पुलिस हमें खोज रही थी। मैंने और विजय गोयल ने तय किया कि हम ‘मशाल’ नाम से एक साइक्लोस्टाइल अख़बार निकालेंगे। उस अख़बार में हम लिखते थे कि हमारे नेता जेल में हैं और हम उस अख़बार को लोगों के घरों में डालते थे…”