मुझे बचा लो…मैं मरना नहीं चाहता’, सतीश कौशिक को हो गया था मौत का अंदेशा, मैनेजर से कहे ये आखिरी शब्द

Khulasa.12.3.2023/

बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक और एक्टर सतीश कौशिक अब हमारे बीच नहीं है. होली के ठीक एक दिन बाद, 9 मार्च को अचानक दिल्ली में उनके निधन की खबर से हड़कंप मच गया. सतीश कौशिक के निधन की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है, लेकिन संदिग्ध परिस्थियों और मामले में फरार बिजनेसमैन की एंट्री के बाद से दिल्ली पुलिस इस केस की बड़ी गंभीरता से जांच कर रही हैं. इस बीच सतीश कौशिक के मैनेजर संतोष राय ने एक्टर-डायरेक्टर की मौत और उनके आखिरी शब्द को लेकर बड़ा खुलासा किया. संतोष राय ने बताया कि सतीश कौशिक मरना नहीं चाहते थे.

सतीश के मैनेजर ने बताया उस रात क्या हुआ

66 साल की उम्र में पॉपुलर डायरेक्टर और एक्टर सतीश कौशिक ने दुनिया को अलविदा कह दिया, कई लोगों अब भी इस खबर पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, मैनेजर संतोष राय ने कुछ ऐसा बताया, जिससे सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो गए. मैनेजर ने बताया, ‘रात करीब 8.30 बजे उन्होंने (सतीश) डिनर खत्म किया. हमें 9 मार्च को सुबह 8:50 बजे की फ्लाइट से मुंबई लौटना था. उसने कहा, “संतोष, जल्दी सो जाओ, हमें सुबह की फ्लाइट पकड़नी है.” मैंने कहा, “ठीक है सर जी. ” मैं बगल वाले कमरे में सोने चला गया.
रात 11 बजे उन्होंने मुझे फोन किया.’

कागज 2’ देख रहे थे सतीश, तभी…

संतोष ने आगे बताया कि सतीश ने रात में उन्हें अपना वाईफाई एक्टिवेट कराने के लिए बुलाया, क्योंकि वो ‘कागज 2’ के एडिटिंग का कुछ काम करना चाहते थे. रात करीब 11:30 बजे सतीश ने फिल्म देखनी शुरू की. जिसकी शूटिंग हाल ही में पूरी हुई है. उसके बाद संतोष अपने कमरे में आ गए. रात 12:05 बजे सतीश जोर-जोर से संतोष को आवाज लगाने लगे. संतोष ने कहा, मैंने उनसे पूछा क्या हुआ सर? क्यों चिल्ला रहे हो? आपने मुझे फोन पर कॉल क्यों नहीं किया? इस पर उन्होंने मुझसे कहा, “सुनो, मुझे सांस लेने में तकलीफ हो रही है. प्लीज मुझे डॉक्टर के पास ले चलो.”

मुझे बचा लो, मुझे वंशिका के लिए जीना है’

संतोष ने कहा, मैंने तुरंत उन्हें गाड़ी में अपने साथ बिठाया. हमारे साथ ड्राइवर और उनका बॉडीगार्ड भी था. थोड़ी दूर जाने पर ही उनके सीने का दर्द बढ़ने लगा और उन्होंने कहा “जल्दी चलो अस्पताल”. और फिर उन्होंने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा और कहा “संतोष मैं मरना नहीं चाहता, मुझे बचा लो. मुझे वंशिका के लिए जीना है. मुझे लगता है मैं नहीं बचुंगा. सशी और वंशिका का ख्याल रखना”. अचनाक उन्होंने बोलना बंद कर दिया. जब तक हम अस्पताल पहुंचे, तब तक वो दम तोड़ चुके थे, लेकिन हमें कार में इसका अंदाजा नहीं था कि वो अब नहीं रहे.

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