Neeraj Singh Rajpurohit (Correspondent Jaipur)
Jaipur:- राजस्थान की सियासी रण में कई बड़े बड़े नेता भी इस बार चुनाव मैदान में हैं. राजस्थान विधानसभा चुनावों में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव मैदान में उतरने का ट्रेंड रहा है. इस बार भी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा चुनाव मैदान में हैं. राजस्थान की राजनीति में मुख्य मुक़ाबला अर्से से भाजपा और कांग्रेस में होता आया हैं. इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस और भाजपा में ही मुख्य मुक़ाबला है. कांग्रेस पार्टी के चुनावी सफर की बात की जाए तो यहां राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव लड़ने का ट्रेंड रहा है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ऐसे तो चुनावों में सेनापति की भूमिका में होते हैं, लेकिन अधिकतर चुनावों में सेनापति ख़ुद युद्ध के मैदान में उतरते हैं.
साल 2008 के चुनावों से कांग्रेस में यह सिलसिला लगातार चल रहा है. चुनाव के रणनीतिकारों के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष के चुनाव मैदान में उतरने के फ़ायदे और नुक़सान दोनों ही हैं. पार्टी प्रमुख के चुनाव लड़ने से जहां पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश का संचार होता है तो पार्टी प्रमुख चुनाव लड़ते समय संगठन पर फ़ोकस नहीं कर पाते यह नुक़सान भी होता है. पार्टी अध्यक्ष रहते अगर चुनाव में हार हो जाए तो पूरी पार्टी की किरकिरी भी होती हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि 2 कांग्रेस के अध्यक्ष ऐसे भी रहे हैं जिन्हें विधानसभा के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. प्रदेश अध्यक्ष रहते चुनाव लड़े डां. चंद्रभान की तो ज़मानत भी ज़ब्त हो चुकी है.
कांग्रेस के कौनसे प्रदेश अध्यक्ष लड़ चुके हैं चुनाव:
-साल 2008 में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने लड़ा था चुनाव
हालांकि सिर्फ 1 वोट से चुनाव हार गए थे सीपी जोशी
-साल 2013 में कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने लड़ा था विधानसभा का चुनाव
डॉ चंद्रभान संभवतः ऐसे पहले कांग्रेस अध्यक्ष जिनकी जमानत ज़ब्त हुई
-इसके बाद साल 2018 में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने टोंक से लड़ा चुनाव
इस चुनाव में पायलट ने दर्ज की बड़ी जीत
-अब 2023 के चुनाव में मौजूदा अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा लड़ रहे हैं लक्ष्मणगढ़ से चुनाव
इस चुनाव में जीत दर्ज करना डोटासरा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
कांग्रेस की तरह ही भारतीय जनता पार्टी भी इसी तरह की रणनीति अपनाती रही है. भाजपा के कई प्रदेश अध्यक्ष भी इस सूची में शामिल हैं जो अध्यक्ष रहते हुए विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तो अध्यक्ष रहते हुए 2 बार विधायक का चुनाव लड़ी और दोनों बार उनकी अगुवाई में भाजपा को प्रदेश में पूर्ण बहुमत मिला. इसी तरह साल 2018 के चुनावों में भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी ने जयपुर की आदर्श नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हे इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इनसे पहले स्वर्गीय हरिशंकर भाभड़ा भी भाजपा अध्यक्ष रहते हुए विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं. स्वर्गीय ललित किशोर चतुर्वेदी भी भाजपा अध्यक्ष रहते हुए विधानसभा का चुनाव लड़ा था. भाजपा के कुछ और नेता इस सूची में शामिल हैं, जो प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए विधायक का चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि इस बार भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष सीपी जोशी चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे इसकी पूरी संभावना है.