Rajasthan Jaipur News: आचार संहिता में नगरीय निकायों में रोजमर्रा के कई काम ठप्प, स्पष्ट निर्देश जारी हो तो मिले आमजन को राहत, देखिए ये खास रिपोर्ट

Neeraj Singh Rajpurohit (Correspondent Jaipur)

Jaipur: राजस्थान विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के नाम पर प्रदेश भर के नगरीय निकायों में रोजमर्रा के कई काम ठप्प पड़े हैं. भले ही नगरीय विकास विभाग ने आमजन से जुड़े काम नहीं अटकाने की हिदायत दे दी हो, लेकिन निकाय अधिकारी स्पष्ट निर्देश नहीं होने का हवाला देकर लोगों को टरका रहे हैं. प्रदेश भर में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता 9 अक्टूबर को लागू हो गई थी. इसी दिन नगरीय विकास विभाग ने आदेश जारी कर सभी निकायों को कहा कि नि:शुल्क या रियायती दर पर पट्टे जारी नहीं किए जाएं. आचार संहिता लगने के बाद कई नगरीय निकायों में नियमित कार्य ठप्प हाे गए हैं.

आमजन से जुड़े कार्य नहीं होने की कई शिकायतें नगरीय विकास विभाग तक भी पहुंची. इसके चलते विभाग ने 18 अक्टूबर को सभी निकायों को कड़ी हिदायत जारी कर कहा कि आमजन के रोजमर्रा के कार्य नियमित रूप से किए जाएं. निकाय इन कार्यों को नहीं अटकाएं, लेकिन नगरीय विकास विभाग के इस सख्त आदेश के बावजूद निकायों में काम नहीं होने की शिकायतें आ रही हैं. इन हालात के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि आचार संहिता के दौरान कौनसे काम किए जा सकते हैं, इसको लेकर स्प्ष्टता नहीं हैं. जयपुर विकास प्राधिकरण ने इसी मामले में राज्य सरकार से मागर्दशन मांगा था. आपको बताते हैं कि जेडीए ने सरकार से क्या मागर्दशन मांगा था और इस पर नगरीय विकास विभाग ने क्या जवाब दिया.

जेडीए ने मांगा मागर्दशन, नगरीय विकास विभाग का जवाब:

  • जेडीए ने आचार संहिता के दौरान भवन मानचित्र समिति ले आउट प्लान, बिल्डिंग प्लान,
    -परियोजना कार्य समिति, लैंड यूज चेंज कमेटी आदि कमेटियों की बैठक बुलाने
    -जमीनी मुआवजा देने और अधिसूचना के प्रकाशन आदि के संबंध में मार्गदर्शन मांगा था
    -इसके जवाब में नगरीय विकास विभाग ने जेडीए से कहा
    -जिन बिंदुओं पर मार्गदर्शन मांगा गया है,उन पर पहले जेडीए अपने स्तर पर परीक्षण करे
    -परीक्षण के बाद भी अगर मार्गदर्शन मांगना जरूरी हो तो
    -विस्तृत सेल्फ कंटेन्ड नोट व जरूरी दस्तावेज के साथ औचित्यपूर्ण प्रस्ताव भिजवाया जाए
    -इस प्रस्ताव पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित स्क्रीनिंग कमेटी विचार करेगी

जेडीए की ओर से कुछ बिंदुओं पर मागर्दशन लेने के उद्देश्य से विस्तृत प्रस्ताव नगरीय विकास विभाग को भेजने की तैयारी की जा रही है, लेकिन प्रदेश के अन्य प्राधिकरण, नगर सुधार न्यास और शहरी निकायों के कई अधिकारी-कर्मचारी आचार संहिता में किए जाने वाले कार्यों की स्पष्टता नहीं होने से नियमित कार्यों को भी अटका रहे हैं. आचार संहिता के दौरान क्या काम किए जा सकते हैं,इसको लेकर नगरीय विकास विभाग ने पिछले विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान निकायों को स्पष्ट निर्देश जारी किए थे. आपको बताते हैं कि 26 अक्टूबर 2018 को नगरीय विकास विभाग ने निकायों को इस बारे में क्या निर्देश दिए थे और किस प्रकार पूरे मामले में स्पष्टता लाई जा सकती है.

निकायों को इस बारे में निर्देश:

-नगरीय विकास विभाग की ओर से जारी इस आदेश में मुख्य निवार्चन अधिकारी की सहमति का हवाला दिया गया था
-वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान ली गई सहमति का हवाला दिया गया था
-इस आदेश में कहा गया था कि राजस्थान लोक सेवा गारंटी कानून के तहत किए जाने वाले कार्य किए जा सकते हैं
-लेकिन कच्ची बस्ती नियमन और उसके पट्टे जारी करने का कार्य नहीं किया जाए
-भू राजस्व अधिनियम के तहत कृषि भूमि का अकृषि उपयोग के लिए भू रूपांतरण की कार्यवाही की जा सकती है
-इनके लिए निकायों की समितियों की बैठक भी आयोजित की जा सकेंगी
-लेकिन उन्हीं समितियों की बैठक आयोजित की जा सकेंगी,जिनमें मनोनीत या निर्वाचित जन प्रतिनिधि अध्यक्ष नहीं हो
-शहरों के मास्टर प्लान जारी करने के कार्य नहीं किए जाएं
-विशेषज्ञों के अनुसार 26 अक्टूबर 2018 के इस आदेश को आधार मानते हुए
-रियायती या नि:शुल्क पट्टा नहीं देने,भूमि आवंटन नहीं करने और
-निविदा जारी नहीं करने सहित अन्य बिंदु शामिल करते हुए विभाग स्पष्ट निर्देश जारी कर सकता है।

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