रायपुर
राजधानी के आंबेडकर अस्पताल में वर्षों बाद भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लग पाया है। इससे हर साल करीब 80 लाख लीटर पानी का संरक्षण नही हो पा रहा है। अस्पताल का भू-जल स्तर 300 फीट से अधिक नीचे तक चला गया है। भू-जल स्तर गिरने की वजह से ही हर साल अस्पताल में लगे बोर सूख जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल संरक्षण को लेकर अस्पताल प्रबंधन ने गंभीरता दिखाई होती तो करीब एक लाख वर्गफीट के परिसर से हर साल 80 लाख लीटर वर्षा का जल संरक्षण किया जा सकता था। आंबेडकर अस्पताल के बोर से पहले 200 फीट से ही पानी आने लगता था, लेकिन वर्तमान में 300 फीट से अधिक नीचे तक पाइप डालने के बाद भी पतली धार आ रही है
गौतरलब है कि आंबेडकर अस्पताल के सात बोर खराब हो गए थे, जिससे मरीज व उनके स्वजनों को विगत तीन दिनों से पेयजल के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रबंधन ने आनन-फानन में दो बोर की मरम्मत कराई है। हालांकि, 1383 बिस्तरों वाले अस्पताल में पानी के लिए इतनी सुविधा नाकाफी है। जल संरक्षण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर प्रबंधन से चर्चा करने पर उन्होंने भी स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करते हुए जल संरक्षण के लिए पहल करते हुए जल्द ही सिस्टम लगाने की बात कही है।
थोड़ी सी मिली राहत
विगत तीन दिनों से अस्पताल में पानी की किल्लत बनी हुई थी। दो बोर के सुधरने और निगम के नल से पानी की सप्लाई होने के बाद मरीज व उनके स्वजन को राहत मिली है। लेकिन, अभी भी पांच बोर खराब है। सभी बोर बनने पर ही पेयजल की समस्या से छूटकारा मिलने की उम्मीद है।
आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डा. एसबीएस नेताम ने कहा, पानी की आपूर्ति अभी हो रही है। अस्पताल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगा है। जल संरक्षण के लिए यह बेहद जरूरी है। पीडब्ल्यूडी से इस संबंध में जानकारी ली जाएगी। इसके लिए जल्द ही योजना बनाकर कार्य शुरू किया जाएग
भू-जल विद् देवव्रत साहू ने कहा, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने से एक लाख वर्ग फीट परिसर से करीब 80 लाख लीटर पानी हर साल बचा सकते हैं। भू-जल स्तर जिस तरह से गिर रहा है, यह बेहद जरूरी है। सिस्टम लगने से ना सिर्फ जल संरक्षण होगा बल्कि भू-जल स्तर भी बढ़ जाएगा