Raipur news:रायपुर गुढ़ियारी सुयश हॉस्पिटल में..मरीज की मौत पर उपभोक्ता आयोग सख्त, हॉस्पिटल को भरना होगा 16 लाख…

Toran Kumar reporter-रायपुर:छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता आयोग ने चिकित्सकीय लापरवाही के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. रायपुर के गुढ़ियारी रोड कोटा स्थित हॉस्पिटल को मरीज की मौत के मामले में दोषी मानते हुए आयोग ने अस्पताल प्रबंधन को भारी मुआवजा देने का आदेश दिया. आदेश के तहत अस्पताल को 15 लाख रुपये मुआवजा (26 नवंबर 2012 से भुगतान तक 6 प्रतिशत ब्याज सहित), 1 लाख रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति और 10,000 रुपये वाद व्यय के रूप में परिवादिनी को देना होगा.

हादसे के बाद लंबा इलाज: हिमांशु सोनी वर्ष 2008 में एक सड़क हादसे का शिकार हुए थे. हादसे के बाद उनके पैरों में शून्यता आ गई और पेशाब नली से जुड़ी गंभीर समस्या हो गई. इस कारण उन्हें लगातार इलाज की जरूरत पड़ती थी.

सुयश हॉस्पिटल में भर्ती और ऑपरेशन: 18 दिसंबर 2010 को हिमांशु को रायपुर के सुयश हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. अस्पताल में उनकी पेशाब नली का लेजर ऑपरेशन किया गया. इलाज के बाद 24 दिसंबर 2010 को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया और स्वस्थ होने का दावा किया गया.

अचानक बिगड़ी तबीयत: लेकिन 26 दिसंबर 2010 को हिमांशु को असहनीय दर्द होने लगा. परिजन उन्हें तत्काल सुयश हॉस्पिटल लेकर पहुंचे. हिना सोनी का आरोप है कि वहां चिकित्सकों ने उन्हें इंजेक्शन दिया, जिसके बाद उनकी हालत और ज्यादा बिगड़ गई और कुछ ही देर में उनकी मौत हो गई.

जिला आयोग में परिवाद:पति की मौत से आहत हिना सोनी ने रायपुर जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर कर सुयश हॉस्पिटल पर गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि अगर समय पर सही इलाज और उचित देखभाल की जाती तो हिमांशु की जान बच सकती थी.

अस्पताल का पक्ष और विरोधाभास: सुयश हॉस्पिटल ने अपना बचाव करते हुए आयोग में कहा कि हिमांशु को 26 दिसंबर को मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था और उन्हें कोई इंजेक्शन नहीं दिया गया. लेकिन प्रतिपरीक्षण के दौरान चिकित्सकों ने स्वीकार किया कि मृत मरीज को पुनर्जीवित करने के प्रयास में इंजेक्शन दिया गया था. यह विरोधाभासी बयान अस्पताल की विश्वसनीयता को कमजोर करने वाला साबित हुआ.

साक्ष्यों की कमी:जिला उपभोक्ता आयोग ने पाया कि अस्पताल ने न तो सीसीटीवी फुटेज और न ही विजिटर रजिस्टर प्रस्तुत किया. इसके अलावा, हिमांशु के पिता अरविंद भाई सोनी को अस्पताल ने चिकित्सकीय दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए.इन दस्तावेजों की अनुपलब्धता के कारण विशेषज्ञ राय नहीं ली जा सकी.

आयोग का निष्कर्ष: इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आयोग ने माना कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही हुई है. जिला उपभोक्ता आयोग ने अस्पताल को मुआवजा देने का आदेश दिया.

राज्य आयोग में अपील और अंतिम फैसला:सुयश हॉस्पिटल ने जिला आयोग के आदेश के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की, लेकिन आयोग की अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरडिया और सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा की पीठ ने अपील को खारिज कर दिया. साथ ही जिला आयोग के आदेश को यथावत रखते हुए अस्पताल को 16 लाख रुपये मुआवजा, ब्याज और क्षतिपूर्ति का भुगतान करने का आदेश दिया.