मुंबई : मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार:मोदी ने दी बधाई, 8 अक्टूबर को मिलेगा सम्मान; 350 से ज्यादा फिल्में कीं, 3 नेशनल अवॉर्ड जीते.
दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड इस साल मिथुन चक्रवर्ती को दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार (30 सितंबर) को इसकी ऑफिशियल अनाउंसमेंट की। 8 अक्टूबर को 70वीं नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी में मिथुन को सम्मान दिया जाएगा।
मिथुन ने अपना फिल्मी करियर 1976 में मृगया से शुरू किया था। पहली ही फिल्म में उन्होंने नेशनल अवॉर्ड जीता। 1982 में आई डिस्को डांसर से उन्हें पहचान मिली।
केंद्रीय मंत्री ने लिखा- मिथुन को दादा साहब फाल्के देते हुए गर्व महसूस कर रहे
अश्विनी वैष्णव ने X लिखा, मिथुन दा की उल्लेखनीय सिनेमैटिक जर्नी कई जनरेशन्स को इंस्पायर करती है। ये अनाउंस करते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि दादा साहेब फाल्के सिलेक्शन जूरी ने इस साल लेजेंड्री एक्टर मिथुन चक्रवर्ती को उनके भारतीय सिनेमा को दिए.
आइकॉनिक योगदान के लिए ये अवॉर्ड देने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई
भारत के प्रधानमंत्री ने मिथुन का को दादा साहेब फाल्के मिलने पर बधाई देते हुए लिखा है, ‘खुशी है कि मिथुन चक्रवर्ती को इंडियन सिनेमा में दिए गए अद्वितीय योगदान के लिए दादा साहेब अवॉर्ड से सम्मानित किया जा रहा है।’
सम्मान हासिल करने पर मिथुन दा ने कहा है, ‘सच कहूं तो, मेरे पास कोई भाषा ही नहीं है। न मैं हंस सकता हूं, न मैं खुशी से रो सकता हूं। इतनी बड़ी चीज है। जहां से मैं आया हूं, उस लड़के को इतना बड़ा सम्मान मिला है, मैं सोच भी नहीं सकता। मैं ये अपने परिवार और दुनियाभर के फैंस को डेडिकेट करता हूं।’
कभी नक्सल हुआ करते थे मिथुन चक्रवर्ती 16 जून 1950 को मिथुन चक्रवर्ती का जन्म कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है। मिथुन ने केमिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया था। ग्रेजुएशन के बाद मिथुन नक्सल आंदोलन में शामिल होकर कट्टर नक्सल बन गए और घर से दूर हो गए। दुर्भाग्य से मिथुन के इकलौते भाई का एक हादसे में निधन हो गया। घर की मुश्किल परिस्थितियां देखते हुए उन्होंने नक्सली आंदोलन छोड़कर घर की तरफ रुख कर लिया। नक्सलवाद से नाता तोड़ने पर मिथुन की जान को भी खतरा था, लेकिन इसके बावजूद वो नहीं डरे। आंदोलन में शामिल रहते हुए उनकी दोस्ती कुख्यात नक्सल रवि रंजन से गहरी थी।
कभी हुआ करते थे हेलन के असिस्टेंट
मिथुन ने घर वापसी तो की लेकिन अब उनका झुकाव हिंदी सिनेमा की ओर हुआ। उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से एक्टिंग सीखी और फिर काम की तलाश में वो मुंबई आ पहुंचे।
कई दिन उन्होंने भूखे पेट रातें गुजारीं। कई महीनों की कड़ी मेहनत और इंतजार के बाद इन्हें हेलन का असिस्टेंट बनने का मौका मिला। हेलन के असिस्टेंट बनकर पीछे घूमने वाले मिथुन को देखकर कुछ फिल्ममेकर्स ने उन्हें छोटे-मोटे फिलर के रोल दिए। मिथुन को अमिताभ बच्चन की फिल्म दो अनजाने में छोटा सा रोल मिला। इस दौरान मिथुन को बॉडी डबल बनाकर भी फिल्मों में लिया गया।
फ्लर्ट कर रहे मिथुन पर पड़ी मृणाल सेन की नजर, बना दिया हीरो
एक दिन कॉलेज में मशहूर फिल्ममेकर मृणाल सेन की नजर मिथुन पर पड़ी। उस दिन मिथुन कॉलेज की कुछ लड़कियों से बेफिक्री से फ्लर्ट कर रहे थे। मिथुन का अंदाज देखकर मृणाल इतने इंप्रेस हुए कि उन्होंने अपनी फिल्म मृगया ऑफर कर दी। इस तरह मिथुन ने 1976 की आर्ट फिल्म मृगया से बतौर हीरो करियर की शुरुआत की। फिल्म के लिए मिथुन दा को बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था। मिथुन इकलौते एक्टर हैं, जिन्हें पहली ही फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला है। इसके अलावा उन्हें 1993 की फिल्म तहादेर कथा और 1996 की स्वामी विवेकानंद के लिए भी नेशनल अवॉर्ड मिल चुका है।