Opinion: 300 शब्द का लेख और 2 की हत्या करने वाले को जमानत…ये कैसा न्याय?

तेज रफ्तार कार से दो लोगों को कुचलने वाले नाबालिग को 15 घंटे में जमानत,
कोर्ट ने नाबालिग को दुर्घटनाओं पर निबंध लिखने समेत कई अजीबोगरीब सजा दी,
‘न्याय’ के नाम पर आरोपी को मिली अनोखी सजा की चर्चा पूरे देश में हो रही है”]
Pune_Porsche_Car_Accident: पुणे में शनिवार रात तेज रफ्तार पोर्शे कार से दो लोगों के कुचलने के आरोपी नाबालिग को निचली कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ जमानत दी हैं। वारदात के 15 घंटे बाद आरोपी को जमानत देते हुए अदालत ने उसे ट्रैफिक पुलिस के साथ 15 दिन काम करने को कहा। कोर्ट ने नाबालिग के लिए दुर्घटनाओं पर निबंध लिखने, शराब पीने की आदत का इलाज कराने और काउंसलिंग सेशन लेने की शर्त रखी है!
तेज रफ्तार कार से दो लोगों को कुचलने वाले नाबालिग को 15 घंटे में जमानत,

कोर्ट ने नाबालिग को दुर्घटनाओं पर निबंध लिखने समेत कई अजीबोगरीब सजा दी,
‘न्याय’ के नाम पर आरोपी को मिली अनोखी सजा की चर्चा पूरे देश में हो रही है!
दो न्याय अगर तो आधा दो, पर इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पांच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम… रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ‘कृष्ण की चेतावनी’ कविता की ये लाइनें ‘पुणे लग्जरी कार एक्सीडेंट’ मामले में एकदम सटीक बैठ रही हैं। महाभारत के दौर से लेकर कलयुग के दौर तक बहुत कुछ बदल गया है। लेकिन इतिहास गवाह है ‘न्याय प्रणाली’ जस की तस है। आज भी न्याय पर उसका कब्जा है, जिसकी लाठी में दम है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता आरोपी एक की जान ले या हजारों की। दरअसल पिछले 24 घंटे से ‘न्याय’ के नाम पर आरोपी को मिली अनोखी सजा की चर्चा पूरे देश में हो रही है!
पुणे में बीती शनिवार रात को तेज रफ्तार पोर्शे कार चला रहे 17 साल के नाबालिग को रोड एक्सीडेंट के मामले में 15 घंटे के अंदर जमानत मिल गई। हादसा

रविवार तड़के कोरेगांव पार्क इलाके में हुआ था, जिसमें दोपहिया वाहन सवार दो लोगों की मौत हो गई थी। आरोपी नाबालिग ने शराब पीकर दो लोगों को रौंद दिया लेकिन उसके रसूख के आगे कानून की जंजीरें ढीली पड़ गईं। यह अभी साफ नहीं है कि जमानत की सुनवाई के दौरान क्या-क्या बातें हुईं, लेकिन पुलिस का कहना है कि कोर्ट को ये हादसा इतना गंभीर नहीं लगा कि जमानत ना दी जाए। नाबालिग को हिरासत में लिए जाने के 15 घंटों के अंदर ही कोर्ट ने उसे जमानत दे दी, लेकिन रिहाई के लिए कुछ शर्तें भी रखीं हैं!
जैसे- ’15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करना होगा’, ‘मानसिक जांच और इलाज करवाना होगा’,’सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव और उनके समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखना होगा’, ‘किसी नशा मुक्ति केंद्र में जाकर रिहैबिलिटेशन लेना होगा’, ‘ट्रैफिक नियमों को पढ़ना होगा और किशोर न्याय बोर्ड के सामने इन नियमों पर प्रेजेंटेशन देना होगा’, ‘भविष्य में अगर वो किसी सड़क दुर्घटना को देखें तो पीड़ितों की मदद करनी होगी!

दो लोगों की जान चली गई और कोर्ट ने जो नैतिक ज्ञान टाइप की जो सजा दी है, उसको लेकर बुद्धिजीवी वर्ग के बीच विचार-विमर्श शुरू हो गया है। हालांकि निचली कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालतों में चुनौती दी जा सकती है। लेकिन ‘न्याय’ का जो सूत्र हल्के नियमों से गुथा गया है, इसकी चर्चा होना लाजमी है। एक नाबालिग जो जवानी दहलीज से बस कुछ कम दूर है। वह शराब पीकर दो लोगों की दुनिया को बेरहमी से उजाड़ देता है, उसे क्या सजा मिलनी चाहिए? इसका जवाब आप, हम और न्याय सिस्टम में बैठे लोग अच्छे से जानते हैं। लेकिन ऐसी क्या मजबूरी है कि इंसान की मौत को 300 शब्द के निबंध से ढकने की कोशिश की गई? हालांकि पुलिस सिस्टम से लड़ती दिख रही है। पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने बताया कि नाबालिग के पिता के खिलाफ भी बिना नंबर की कार चलाने की अनुमति देने के लिए कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि इस केस की जांच सहायक पुलिस आयुक्त कर रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों को भी दर्ज किया गया है, जिसमें बताया गया कि वारदात के बाद जब लोगों ने उन्हें पकड़ा तो नाबालिग और उसके दोस्त नशे में थे!
क्या है मामला?

पुलिस के मुताबिक, शनिवार रात रियल एस्टेट एजेंट का नाबालिग बेटा दोस्तों के साथ पार्टी कर अपनी पोर्श कार से लौट रहा था। चश्मदीदों ने पुलिस को बताया कि उसकी पोर्श कार 200 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की स्पीड से चल रही थी। कार पर नंबर प्लेट भी नहीं थी। उस समय ही मध्यप्रदेश के रहने वाले दो इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा भी बाइक से लौट रहे थे। तेज रफ्तार कार ने अश्विनी की बाइक में जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर लगते ही अश्विनी हवा में करीब 20 फुट तक उछला और फिर जमीन पर गिर गया। उसका दोस्त अनीश भी कार पर गिरा। गंभीर चोट के कारण दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई थी!!

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