गुजरात के अहमदाबाद में पिराना स्थित प्रेरणा पीठ निष्कलंकी मंदिर पर मुस्लिम भीड़ ने हमला कर दिया है। हमले का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि भीड़ में ज्यादातर जालीदार टोपी पहने हुए हैं और वे मंदिर पर डंडों से हमला कर रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने दावा किया कि हमला पूर्व नियोजित था और हिंदू देवी-देवताओं की कई मूर्तियाँ तोड़ी गई हैं।
बता दें कि इस जगह को लेकर सालों से विवाद चलता आ रहा है। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि इस मंदिर की जगह दरगाह की है, जबकि हिंदू पक्ष इसे मंदिर होने की बता करता आ रहा है। इस बात को लेकर अफवाह उड़ी थी कि यहाँ से कुछ कब्रें हटा दी गई हैं। यह अफवाह फैलते ही स्थानीय मुस्लिमों की भीड़ वहाँ जमा हो गई।
पहली वीडियो – गुजरात के कर्णावती में स्थित प्रेरणा पीठ हिंदू मंदिर पर ब्रेन डेड जी 'हादी' ज़ोम्बीज़ ने क्रूर हमला किया, लगता है ये सुनियोजित षडियंत्र था और हमला करने के लिए जी 'हादी' यों की भीड़ बाहर से बुलाई गई थी।
— Dr. Sudhanshu Trivedi Satire (@Sudanshutrivedi) May 8, 2024
दूसरी वीडियो – अंत तक देखे..
ब्रेन डेड जी 'हादी' समुदाय… pic.twitter.com/FEWF0aKpI3
कुछ ही देर में एक बड़ी भीड़ जमा हो गई और मंदिर में घुस कर तोड़फोड़ करने लगी। भीड़ के हाथों में लकड़ी और लोहे के डंडे भी दिखे। हमले का एक वीडियो विश्व हिंदू परिषद की गुजरात इकाई ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किया है। इस में हिंदू संगठन ने दावा किया है कि यह हमला पूर्व नियोजित था।
हिंदू संगठन VHP ने आगे दावा किया है कि हमले में मंदिर के अंदर स्थापित देवी-देवताओं की कई मूर्तियाँ तोड़ दी गई हैं। ऑपइंडिया ने इस संबंध में विश्व हिंदू परिषद से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
बता दें कि इस मामले को लेकर कोर्ट में केस चल रहा है। साल 2022 में इमामशाह दरगाह के ट्रस्ट की ओर से हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया था। उसमें कहा गया था कि असल में मूल धार्मिक स्थल हिंदुओं का है और संस्था ‘सतपंथियों’ की है।
इमामशाह बावा रोजा ट्रस्ट ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि पिराना स्थित इस जगह पर 600 साल पुरानी मस्जिदें, दरगाह और मंदिर हैं। ट्रस्ट का कहना था कि यह कहना सही नहीं होगा कि यह स्थान मूल रूप से एक मुस्लिम संस्था है और एक हिंदू धार्मिक स्थल है। यह भी कहा गया है कि ट्रस्ट के ट्रस्टियों में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं।
ट्रस्ट का यह दावा 1939 में निचली अदालत द्वारा अनुमोदित एक योजना के आधार पर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि पिराना मंदिर हिंदू सतपंथियों की एक संस्था है। इसके अलावा कहा गया है कि सैयद ट्रस्टियों की ओर से धार्मिक स्थल को वक्फ संपत्ति घोषित करने की माँग की गई थी।