CG Sai Cabinet Decision:रायपुर लोकसभा चुनाव से पहले विष्णु देव साय सरकार ने महिलाओं के लिए महतारी वंदन योजना शुरू करने का फैसला लिया है। बुधवार को साय कैबिनेट की सातवीं बैठक में मोदी की इन दो गारंटियों को पूरा करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत महिलाओं को हर महीने एक हजार यानी 12,000 रुपये सालाना मिलेंगे। यह राशि महिलाओं को सीधे उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से दी जाएगी। इसमें विवाहित महिलाओं के अलावा विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता महिलाओं को भी पात्रता होगी। मंत्रिमंडल ने तेंदूपत्ता संग्रहण दर 5,500 रुपये करने का भी फैसला लिया है।
तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए बीमा भी
कैबिनेट में लिए गए निर्णय के मुताबिक, तेंदूपत्ता संग्राहकों को अब संग्रहण पारिश्रमिक 4,000 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा दिया जाएगा। इसका लाभ 13 लाख परिवारों को मिलेगा। इसके लिए राज्य सरकार पर 300 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आएगा। वहीं, तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा के लिए नवीन योजना संचालित किए जाने का निर्णय लिया है।
सशक्त महिला मज़बूत प्रदेश,महतारी वंदन योजना का यही उद्देश्य।
— CMO Chhattisgarh (@ChhattisgarhCMO) January 31, 2024
छत्तीसगढ़ में लागू हुई #महतारी_वंदन_योजना।
छत्तीसगढ़ की मूल निवासी 21 वर्ष से अधिक आयु की विवाहित महिलाओं के अलावा विधवा,तलाकशुदा और परित्यक्ता महिलाओं को प्रतिमाह मिलेगी ,1000 रुपए की आर्थिक सहायता।… pic.twitter.com/IAUhRT0VOA
छत्तीसगढ़ निवासी विवाहित महिला, जिनकी आयु एक जनवरी 2024 को 21 वर्ष से अधिक हो, को मिलेगा। इस योजना में करीब 60 लाख महिलाओं को फायदा मिलेगा। इसके लिए सालाना 720 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
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संविदा नियुक्ति नियम में बदलाव
विष्णुदेव साय सरकार ने पिछली भूपेश सरकार में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम, 2012 में अगस्त 2023 में किए गए संशोधन को निरस्त कर पूर्ववत किए जाने का निर्णय लिया है। अगस्त 2023 में उक्त नियम में यह संशोधन किया गया था कि विभागीय जांच उपरांत, शास्ति प्रभावशील होने अथवा अपराधिक प्रकरण में न्यायालय द्वारा दंडित होने पर संविदा नियुक्ति के लिए अपात्र होंगे। इस संशोधन से ऐसे सेवानिवृत्त शासकीय सेवक जिनके विरुद्ध विभागीय जांच या अभियोजन के प्रकरण विचाराधीन अथवा प्रचलित है उन्हें भी संविदा नियुक्ति की पात्रता बन रही थी। जिसे मंत्रिपरिषद ने इसे उचित नही मानते हुए निरस्त कर संविदा नियम 2012 के प्रावधान को यथावत करने का निर्णय लिया है।