उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को भर्ती परीक्षा घोटाले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे बेरोजगार युवाओं पर लाठीचार्ज की घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. प्रदर्शनकारियों द्वारा कथित तौर पर पुलिस से झड़प के बाद उस पर पथराव किए जाने के बाद उन पर लाठीचार्ज किया गया था. एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, बुधवार को यहां गांधी पार्क में बेरोजगार संघ के धरने और बृहस्पतिवार को धरने के दौरान हुए पथराव की वजह से क़ानून— व्यवस्था की विषम परिस्थिति उत्पन्न हो गई थी. मुख्यमंत्री ने क़ानून व्यवस्था की विषम परिस्थिति तथा लाठी चार्ज के पूरे घटनाक्रम की विस्तृत मजिस्ट्रेट जांच के लिए मुख्य सचिव एसएस सन्धु को निर्देशित किया है. वहीं, उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने कल हुए लाठीचार्ज के विरोध में आज प्रदेश में बंद का आह्रवान किया है. प्रशासन ने राजधानी देहरादून और ऋषिकेश में धारा 144 लागू करने की घोषणा की है.
उधर, भर्ती परीक्षा घोटाले के खिलाफ बेरोजगार युवाओं के प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 को अनुमोदन दे दिया. इस अध्यादेश में दोषियों के लिए जुर्माने से लेकर सजा तक के सख्त प्रावधान हैं. यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता एवं शुचिता को सुनिश्चित करने वाले अध्यादेश में कडे प्रावधान किए गए हैं और अपराध को संज्ञेय एवं गैर जमानती बनाया गया है . इसके तहत, यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान आदि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा तथा दस करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
#WATCH उत्तराखंड: भर्तियों में गड़बड़ी की CBI जांच की मांग को लेकर देहरादून के मुख्य राजपुर रोड पर प्रदर्शन कर रहे बेरोजगार युवकों ने पुलिस बल पर पथराव किया। पुलिस प्रशासन के साथ भारी पुलिस बल मौके पर मौजूद। pic.twitter.com/naGPyJtjYR
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 9, 2023
यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो उसके लिए भी आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रू तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख रू के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. यदि वह परीक्षार्थी किसी अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो उसके लिए न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख रू जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
अध्यादेश के तहत यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार करने तथा दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है. यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा, अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की का प्रावधान भी किया गया है.