नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में 14 अगस्त को चोसोटी गांव में भीषण बादल फटा, जिससे मचैल माता यात्रा का पवित्र मार्ग तबाही का शिकार बन गया। इस आपदा में अब तक 38 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई लोग अब भी लापता हैं।
आपदा की दुर्घटनाएं और परिस्थितियां
यह हादसा पद्दार सब-डिवीजन का आखिरी मोटरेबल गांव चोसोटी में हुआ, जहां से मचैल माता मंदिर जाने की शुरुआत होती है। बादल फटने के बाद आई अचानक बाढ़ ने गांव और यात्रा मार्ग को सहारा दिया।
राहत एवं बचाव कार्य
एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवक बड़े पैमाने पर बचाव अभियान चला रहे हैं। अब तक 98 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 28 की हालत गंभीर है। इस आपदा में सीआईएसएफ के दो जवान भी शहीद हो गए।
प्रशासन ने कंट्रोल रूम और हेल्प डेस्क स्थापित किया है:
9858223125, 6006701934, 9797504078, 8492886895, 8493801381, 7006463710
नेताओं की प्रतिक्रियाएं और सहायता
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्थिति पर खास नजर रखी जा रही है और हर संभव मदद दी जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के एलजी और सीएम से बात कर राहत कार्य तेजी से करने के निर्देश दिए। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसे “बड़े पैमाने पर बादल फटना” कहा, उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर से भी उतरने की तैयारी है।
मचैल माता यात्रा पर असर
वार्षिक मचैल माता यात्रा, जो 25 जुलाई से शुरू होकर 5 सितंबर तक चलने वाली थी, इस दुर्घटना के बाद अंतिम रोक लगा दी गई है। पथेरनाकी जैसे भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों में भविष्य में सुरक्षा उपायों पर ज़ोर दिया गया है। डीसी पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि सभी मेडिकल सेंटरों पर दवाइयां और डॉक्टर मौजूद रहें। नेता प्रतिपक्ष सुनील कुमार शर्मा ने जिला प्रशासन के साथ समन्वय कर प्रतिबद्धता को प्राथमिकता देने और उपाय सुरक्षा बढ़ाने की बात कही।