संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा उठाने पर भारत ने बुधवार को पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि एक देश जिसने अल-कायदा नेता ओसामा बिन लादेन की मेजबानी की और जिसने अपने ही पड़ोसी देश की संसद पर हमला किया, उसके पास संयुक्त राष्ट्र में “उपदेश” देने की साख नहीं है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता हमारे समय की प्रमुख चुनौतियों, चाहे वह महामारी हो, जलवायु परिवर्तन, संघर्ष या आतंकवाद हो, की प्रभावी प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है.
दुनिया जिसे अस्वीकार करती है, उसे सही कैसे ठहरा सकते
विदेश मंत्री (EAM) एस जयशंकर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र की एक सभा के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाए जाने के बाद तीखी आलोचना की और कहा कि, ” इस मसले का समाधान ढूंढते समय, हमारे प्रवचन को ऐसे खतरों के सामान्यीकरण को कभी स्वीकार नहीं करना चाहिए. दुनिया जिसे अस्वीकार्य मानती है, उसे सही ठहराने का सवाल ही नहीं उठना चाहिए
#WATCH | “Hosting Osama Bin Laden…” EAM Dr S Jaishankar’s sharp response to Pakistan FM Bhutto after ‘Kashmir remark’ in United Nations
— ANI (@ANI) December 14, 2022
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इस मंच पर उपदेश ना दिया करें
पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “यह निश्चित रूप से सीमा पार आतंकवाद के राज्य प्रायोजन पर लागू होता है. न ही ओसामा बिन लादेन की मेजबानी करना और पड़ोसी संसद पर हमला करना इस परिषद के सामने उपदेश देने के लिए प्रमाणिकता के रूप में कार्य करता है.”
जयशंकर ने कहा कि “सुरक्षा परिषद की छतरी के नीचे बहुपक्षीय समाधान शांति को बढ़ावा देने और संघर्षों को हल करने के लिए सबसे प्रभावी दृष्टिकोण प्रदान करते हैं. किसी विवाद के पक्ष एक दिन बहुपक्षीय प्रक्रिया, एक दिन बहुपक्षीय सुधारों की वकालत नहीं कर सकते हैं और अगले दिन द्विपक्षीय रास्ते पर जोर देते हैं और अंततः एकतरफा कार्रवाई लागू करते हैं.
भुट्टो ने छेड़ा कश्मीर राग
भुट्टो ने कहा था कि पाकिस्तान का दृढ़ विश्वास है कि सुरक्षा परिषद की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से उसके क्षेत्र सहित प्रमुख सुरक्षा समस्याओं को प्रभावी ढंग से और शांतिपूर्वक हल किया जा सकता है.
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने अपने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा के लिए बहुपक्षीय एजेंडे के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल किया है. भारत समान उपायों में प्रतिक्रिया देता है और संयुक्त राष्ट्र के मंच के अपने दुरुपयोग का आह्वान करता है.
गौरतलब है कि 13 दिसंबर 2001 को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया था. इस हमले में आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कर्मी और संसद के दो कर्मी शहीद हुए थे. एक कर्मचारी और एक कैमरामैन की भी हमले में मौत हो गई थी.