छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में:खेलते-खेलते फिसली बच्ची, पूजा की घंटी आंख फाड़ते हुए दिमाग तक पहुंची, हालत देख डॉक्टर्स भी सन्न रह गए

छत्तीसगढ़ (बिलासपुर)
9 साल की बच्ची काव्या दिवाली की शाम पूजा के लिए घंटी पकड़े थी, तभी किसी समान से टकराकर लड़खड़ाई और पैर फिसलने से गिर गई।
जिससे उस घंटी का ऊपरी हिस्सा बाई आंख
में घुसकर सीधे दिमाग तक पहुंच गया।

परिवार जन उसे तत्काल सिम्स लेकर गए।
सिम्स में शुरुआती इलाज के बाद बच्ची का एक्स-रे और सिटी स्कैन कराया गया। घंटी उसकी आंख की झिल्ली के साथ ही मस्तिष्क तक पहुंच गयी थी।
जिस कारण न्यूरो सर्जरी की आवश्यकता हुई। लिहाजा, सिम्स से बच्ची को तत्काल रायपुर रेफर कर दिया गया है।

सी टी स्कैन में साफ दिखा कि घंटी का हैंडल आंख की हड्डी (ऑर्बिट) पार कर ब्रेन टिशू तक चला गया था।
डॉ. प्रांजल मिश्रा व उनकी टीम ने दूरबीन से ऑपरेशन किया ताकि डैमेज ऊतकों को कम नुकसान पहुंचे।

4 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद,
जब बच्ची ने दोनों आंखों से साफ देखा और मुस्कुराई, तो ओटी में मौजूद हर एक शख्स भावुक हो गया।
हर किसी की आँखों मे जीत के आँसू थे…
और हो भी क्यों न’ ये जीत थी
विश्वास और मेडिकल साइंस की।
और उनके उस कौशल की, जो कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने पाया था। ताकि काव्या को उसकी आँखें लौटा सकें फिर भले सर्जरी कितनी ही चुनौती पूर्ण क्यों न हो।

💉 डॉक्टरों ने 4 घंटे की जटिल सर्जरी कर न सिर्फ बच्ची की जान बचाई, बल्कि उसकी दोनों आंखों की रोशनी भी सुरक्षित रखी।
👩‍⚕️ टीम लीड – डॉ. प्रांजल मिश्रा
📍 डीकेएस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर

डॉक्टरों ने कहा – “यह एक चमत्कार जैसा केस था, जहां मौत का खतरा टल गया।” 🙏

यह न सिर्फ मेडिकल साइंस की सफलता थी,
बल्कि ऑपरेशन में शामिल डॉक्टर्स और स्टाफ के जज्बे और हिम्मत की मिसाल भी थी।
नमन है ऐसे डॉक्टरों को…..
जो कई लोगों को नवजीवन देते हैं।