MP:सतना जिला अस्पताल से एक बार फिर मानवता और संवेदनशीलता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. रामनगर सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल एक मरीज को 108 एंबुलेंस के माध्यम से जिला अस्पताल रेफर किया गया था, लेकिन यहां पहुंचते ही जो हुआ उसने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
108 एंबुलेंस में मरीज को हो गईं उल्टियां
जानकारी के अनुसार, सड़क दुर्घटना में रामनगर निवासी कमलेश रावत का पैर टूट गया था. प्राथमिक उपचार के बाद उसे 108 एंबुलेंस से सतना जिला अस्पताल भेजा गया. रास्ते में तबीयत बिगड़ने के कारण मरीज को उल्टियां हो गईं, जिससे एंबुलेंस गंदी हो गई.
घायल मरीज की पत्नी से धुलवाई एंबुलेंस
जैसे ही एंबुलेंस जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर पहुंची, एंबुलेंस चालक ने संवेदनहीनता की सारी हदें पार करते हुए मरीज की पत्नी से ही एंबुलेंस धुलवाने का काम करवा दिया. यह पूरी घटना अस्पताल के मुख्य द्वार के सामने खुलेआम होती रही, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि मौजूद किसी भी अधिकारी या कर्मचारी ने इस अमानवीय कृत्य को रोकने की जरूरत तक नहीं समझी.
एंबुलेंस चालक की शर्मनाक करतूत
बता दें कि 108 एंबुलेंस सेवा में वाहन की साफ-सफाई के लिए अलग से सरकारी बजट निर्धारित है. शासन के स्पष्ट और सख्त निर्देश हैं कि किसी भी पीड़ित मरीज या उसके परिजनों से वाहन की सफाई के नाम पर कोई काम नहीं कराया जाएगा और न ही ऐसी कोई शिकायत सामने आनी चाहिए. इसके बावजूद एक घायल मरीज की पत्नी से एंबुलेंस धुलवाना न केवल नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध जैसा कृत्य भी है.
सबसे चिंता की बात यह है कि पूरी घटना जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर सबके सामने घटित हुई, लेकिन अस्पताल प्रशासन की चुप्पी ने इस अमानवीय व्यवहार को जैसे मौन समर्थन दे दिया.

