Toran Kumar reporter
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज एक बड़ा फैसला लिया है। (Hyderabad Libration Day 2024 Notification) केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में बताया गया हैं कि कहा कि वह हर साल 17 सितंबर को ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाएगी।”
Government of India has decided to celebrate 17th September every year as “Hyderabad Liberation Day”. pic.twitter.com/RfdnGG9frM
— ANI (@ANI) March 13, 2024
इस तरह मोदी सरकार ने हैदराबाद को आजाद कराने वाले शहीदों को याद करने और लोगों में देशभक्ति और युवाओं के मन में लौ जगाने के लिए हर साल 17 सितंबर को “हैदराबाद मुक्ति दिवस” के रूप में मनाने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय की तरफ से इस सम्बन्ध में अधिसूचना जरी कर दी गई हैं। इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि क्षेत्र के की यह मांग रहे है जिसे पूरा किया जा रहा हैं।बता दें कि 15 अगस्त, 1947 को भारत की आजादी के 13 महीनों तक हैदराबाद को आजादी नहीं मिली और वह निज़ाम के शासन के अधीन था। 17 सितंबर, 1948 को पुलिस कार्रवाई “ऑपरेशन पोलो” के बाद यह क्षेत्र निज़ाम के शासन से मुक्त हो गया।
Ministry of Home Affairs notifies ‘#Hyderabad Liberation Day’ will be marked every year on 17th September. pic.twitter.com/1i49z3jWjJ
— All India Radio News (@airnewsalerts) March 13, 2024
हैदराबाद मुक्ति दिवस में समारोह में पहुंचे गृह मंत्री ने परेड ग्राउंड कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराया और कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देश की पिछली सरकारों पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार ने तुष्टीकरण नीतियों के कारण हैदराबाद मुक्ति दिवस नहीं मनाया।” (Hyderabad Libration Day 2024 Notification) 75 वर्षों से किसी भी सरकार ने हमारे युवाओं को इस महान दिन से परिचित कराने के लिए कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया। तुष्टिकरण की नीति के कारण वे डर गए और तेलंगाना मुक्ति दिवस नहीं मनाया।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी कुछ दल वोट बैंक की राजनीति के कारण हैदराबाद मुक्ति दिवस मनाने से कतरा रहे थे। मैं उन पार्टियों से कहना चाहता हूं कि लोग उनसे मुंह मोड़ लेते हैं जो अपना इतिहास भूल जाते हैं।” 1948 में हैदराबाद के भारतीय संघ में विलय के बाद भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने तिरंगा फहराया था। हैदराबाद राज्य, जो निज़ाम के शासन के अधीन था, उसे ‘ऑपरेशन पोलो’ नामक एक सैन्य कार्रवाई के बाद भारत संघ में मिला लिया गया, जो 17 सितंबर, 1948 को समाप्त हुआ।