बिलासपुर.वाहन चालक के पास लाइसेंस हो या न हो दोनों ही परिस्थितियों में मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण में बीमा कंपनी को भुगतान करना होगा। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दुर्घटना दावा के संबंध में बीमा कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। यह फैसला न्याय दृष्टांत बन गया है।
राजनांदगांव में 13 जनवरी 2013 को अफजल खान(40) और हेमलाल हल्बा की मोटरसाइकिल में भिड़ंत हो गई थी। हेमलाल की मोटरसाइकिल सोहन सिंह चला रहा था। हादसे में अफजल की मौत हो गई। मृतक के स्वजन के आवेदन पर प्रथम अतिरिक्त मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण राजनांदगांव ने 24 दिसंबर 2014 को चार लाख 50 हजार रुपये का अवार्ड पारित किया। साथ ही आवेदन की तिथि से छह प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने के निर्देश दिए। नेशनल इंश्योरेंस कंपनी ने न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की। इसमें कहा गया कि दुर्घटना के समय अफजल खान और दुर्घटना करने वाले सोहन सिंह के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था।
आवेदक को ड्राइविंग लाइसेंस प्रस्तुत करने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह बीमा पालिसी की शर्त का उल्लंघन है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने फैसले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में निर्णयों का हवाला दिया। इसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि यदि उल्लंघन करने वाले वाहन के चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है तो बीमा कंपनी मुआवजे की राशि का भुगतान करने के बाद वाहन के मालिक से इसे वसूल करने की हकदार होगी।
साथ ही यह साबित करने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी पर है कि ड्राइवर के पास कोई वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। शर्तों का उल्लंघन किया गया था या नहीं। कोर्ट ने कहा जहां चालक के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं हो और नीति शर्तों का उल्लंघन किए जाए, तीसरे पक्ष के जोखिमों के मामले में भुगतान और वसूली का आदेश दिया जा सकता है। हाई कोर्ट मामले में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को निर्देशित किया है कि पीड़ित पक्ष को 12 लाख 70 हजार रुपये का भुगतान करे।
फैसला जो बना न्याय दृष्टांत
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बीमा कंपनी के विरुद्ध लाए गए मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण में भुगतान और वसूली का सिद्धांत दुर्घटनाकारित वाहन चालक के पास अवैध लाइसेंस होने और वाहन चालक के पास लाइसेंस न होने की दशा में भी लागू किया जा सकता है।