रणवीर सिंह के खिलाफ मुंबई में दर्ज हुआ FIR, जानें क्या है ‘अश्लीलता’ कानून और इसकी कितनी होती है सजा

Ranveer Singh Photoshoot Controversy: अपने अतरंगी फैशन सेंस की वजह से अक्सर चर्चा में रहने वाले रणवीर सिंह (Ranveer Singh) पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में बने हुए हैं. दरअसल, रणवीर ने पिछले दिनों एक विदेशी मैगज़ीन के लिए न्यूड फोटोशूट करवाकर हंगामा मचा दिया है. रणवीर ने इन तस्वीरों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर खुद शेयर किया था जो कि देखते ही देखते वायरल हो गईं. सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने इस फोटोशूट की तारीफ की तो कुछ ने रणवीर पर अश्लीलता फैलाने के आरोप लगा डाले. हाल ही में इस मामले ने और तूल पकड़ा जब रणवीर के खिलाफ एक एनजीओ ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी. इस एनजीओ ने कहा है कि तस्वीरें जिस हिसाब से क्लिक की गईं हैं, उससे कोई भी महिला और पुरुष शर्मसार महसूस करेंगे.

रणवीर सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज

वहीं मुंबई में ही एक और व्यक्ति ने शिकायत दर्ज करवाते हुए कहा है कि अपनी तस्वीरों के जरिए महिलाओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और साथ उनकी गरिमा का अपमान किया है. इस शिकायतकर्ता ने रणवीर के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी कानून और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करने की भी मांग की है. बता दें कि शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा वहीं अब रणवीर के खिलाफ पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 292 (अश्लील किताबों आदि की बिक्री), 293 (युवाओं को अश्लील सामग्री की बिक्री), 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द कहना, संकेत करना या कृत्य करना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के तहत रणवीर सिंह के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज कर ली है.

क्या है अश्लीलता कानून

1. रणवीर सिंह के खिलाफ धारा 293 के तहत भी एफआईआर दर्ज की गई है. इसके तहत 20 वर्ष से कम आयु के किसी युवा व्यक्ति को अश्लील वस्तुओं को विक्रय करना भारतीय दंड सहिंता की धारा 293 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है.

2. रणवीर सिंह पर धार 509 के तहत भी एफआईआर दर्ज की गई है. जिसमें महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द कहना, इशारा करना या किसी कृत्य को अंजाम देने के आधार पर कार्रवाई की जाती है.

3. इसी तरह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 (ए) के तहत अश्लील सामग्री को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर कार्रवाई की जाती है.

कितनी मिलती है सजा

अलग-अलग धाराओं के लिए आरोप सिद्ध होने पर अलग-अलग सजा का प्रावधान है. लाइव लॉ के अनुसार मसलन धारा 292 के तहत पहली बार यह अपराध करने पर दो साल तक कि सजा हो सकती है फिर दूसरी बार फिर अपराध करने पर पांच साल तक की सजा सुनाई जा सकती है और पांच हजार का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसी तरह धारा 509 का उल्लंघन करने पर तीन साल तक सजा हो सकती है, जबकि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 (ए) के तहत अपराध सिद्ध होने पर 7 साल की सजा और 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है.

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