जोशीमठ: उत्तराखंड के हिमालयी शहर जोशीमठ (Joshimath) का अस्तित्व खतरे में है. बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में पहचान रखने वाले जोशीमठ में ज़मीन दरक रही है. जगह-जगह ज़मीन दरकने के चलते सड़कें और घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं. सिंगधर वार्ड में एक मंदिर ढह गया, जिसने एक बड़ी आपदा के डर के साए में रह रहे लोगों को और अधिक चिंतित कर दिया. इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ है. इस घटना की जांच के आदेश सरकार द्वारा दिए गए हैं. सरकार का कहना है कि जोशीमठ को बचाने के लिए जो भी करना पड़ेगा, करेंगे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में कहा कि विशेषज्ञों का एक दल समस्या के सभी पहलुओं का अध्ययन करने के लिये जोशीमठ में मौजूद है और शहर को बचाने के लिये सब कुछ किया जायेगा.
स्थानीय निवासियों के अनुसार, जब यह घटना हुई, तो उस वक्त मंदिर के भीतर कोई नहीं था, क्योंकि करीब 15 दिन पहले इसमें बड़ी दरार आने की घटना के बाद इसे खाली कर दिया गया था. आपदा प्रबंधन अधिकारियों ने बताया कि कई घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गयी हैं और करीब 50 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है .
आपदा प्रबंधन के निदेशक पंकज चौहान ने बताया कि उनलोगों के अलावा 60 अन्य परिवारों को दूसरे स्थान पर भेजा गया है. उन्होंने बताया कि ये लोग विष्णु प्रयाग जल विद्युत परियोजना के कर्मचारियों के लिये बने कॉलोनी में रहते थे. उल्लेखनीय है कि मारवाड़ी इलाका सबसे अधिक प्रभावित है, जहां तीन दिन पहले एक जलभृत फूटा था. क्षेत्र के कई घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि जलभृत से पानी का बहाव लगातार जारी है.
चारधाम ऑल वेदर रोड’ (हेलंग-मारवाड़ी बाईपास) और एनटीपीसी की पनबिजली परियोजना जैसी बड़ी परियोजनाओं से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों को स्थानीय लोगों की मांग पर अगले आदेश तक रोक दिया गया है. स्थानीय नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने बताया कि औली रोपवे सेवा को भी इसके नीचे एक बड़ी दरार आने के बाद बंद कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि एक साल से भी अधिक समय से जमीन धंस रही है, लेकिन पिछले एक पखवाड़े में यह समस्या और भी गंभीर हो गई है. इस बीच, पुनर्वास की मांग को लेकर लोगों ने शुक्रवार को जोशीमठ के तहसील कार्यालय पर धरना दिया.