DM और कमिश्नर तो खुद को भगवान समझते हैं… क्यों भड़क गईं चीफ जस्टिस?

Toran Kumar reporter

How to file complaint against police: गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने प्रशासनिक अधिकारियों को लेकर अहम टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि पुलिस कमिश्नर, जिला मजिस्ट्रेट (DM) अपने आपको भगवान समझते हैं. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण (SPCA) के बारे में पर्याप्त जागरूकता पैदा करने में विफलता के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई. SPCA का क्या महत्व है? यहां पर आप किसी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते हैं. अदालत एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. मामले में एक कपल देर ट्रवल कर रहे थे तो एक पुलिसकर्मी ने कपल्स को परेशान किया और 60 हजार रुपए मांगे.

कोर्ट ने कहा कि नागरिकों से अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए सीधे पुलिस स्टेशन या जिला मजिस्ट्रेट से संपर्क करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है, खासकर क्योंकि जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस आयुक्त अक्सर ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे वे भगवान या राजा हों.

सुनीता अग्रवाल ने नाराजगी जताई और कहा,

कोई भी आपके कार्यालय के बाहर खड़ा नहीं हो सकता. क्या आप एक सामान्य नागरिक से अपने कार्यालय के बाहर खड़े होने की उम्मीद करते हैं? उन्हें आपके कार्यालय में प्रवेश करने की अनुमति कौन देगा? आपके डीएम और कमिश्नर सोचते हैं कि वे भगवान हैं. वे भगवान और राजा की तरह व्यवहार करते हैं.”

चीफ जस्टिस अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध माई की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कहा कि हालांकि राज्य ने पुलिस अधिकारियों के बारे में शिकायतें प्राप्त करने के लिए एक प्राधिकरण स्थापित किया है, लेकिन इस तंत्र के बारे में शायद ही कोई जानता हो. ऐसा प्राधिकरण बनाना पर्याप्त नहीं है क्योंकि कोई नहीं जानता कि शिकायत दर्ज कराने के लिए कहां जाना है और किससे संपर्क करना है.

राज्य सरकार की ओर से पेश सरकारी वकील से चीफ जस्टिस कहा,

“ये जमीनी हकीकत हैं और हर कोई इसे जानता है. एक सामान्य नागरिक के लिए पुलिस स्टेशन या आयुक्त या डीएम के कार्यालय में प्रवेश करना पूरी तरह से पहुंच से परे है. हम दोनों (न्यायाधीश) एक समय में सामान्य नागरिक रहे हैं और हम जमीनी हकीकत जानते हैं और पुलिस अधिकारियों के साथ हमारे व्यक्तिगत अनुभव हैं.”

पीठ ने राज्य को पुलिस शिकायत कक्षों के निर्माण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा,

“आपको नागरिकों को ये बताना होगा कि शिकायत करने कहां जाना है, कैसे जाना है और (पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए) किससे संपर्क करना है.

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