उद्धव ठाकरे बोले- ‘नैतिकता हो तो मेरी तरह इस्तीफा दें सीएम-डिप्टी सीएम’, शिदे ने कहा- जब NCP-कांग्रेस के साथ गए थे तब कहां थी नैतिकता

Toran Kumar reporter..11.5.2023/✍️

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जिस तरह हमने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था वैसे सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम को भी पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस देश में प्रजातंत्र की रक्षा करना हमारा काम है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मैं इस्तीफा नहीं देता तो शायद मैं फिर मुख्यमंत्री बन जाता.मैं मेरे लिए नहीं लड़ रहा, मेरी लड़ाई जनता के लिए, देश के लिए है. राजनीति में मतभेद होते रहते हैं लेकिन हमारा एक मत यह है कि इस देश को बचाना है

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि उद्धव ठाकरे को दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता है.सदस्यता निरस्त किए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर के पास अधिकार है कि वे फैसला लें. स्पीकर को यह अधिकार दिया गया है कि 10वीं अनुसूचि को ध्यान में रखते हुए यह तय करेंगे कि राजनीतिक पार्टी कौनसी है और फिर सदस्यता निरस्त किए जाने पर फैसला होगा. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने महा विकास अघाड़ी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है. महा विकास अघाड़ी की साजिश नाकाम हो गई है…सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार पूरी तरह संवैधानिक है.जो लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अटकले लगाते हुए कहते थे कि हमारी सरकार जाएगी आज उन्हें जवाब मिल गया है.

उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि नैतिकता की बात अब करने से अच्छा तब करनी चाहिए थी जब चुनाव हुआ था. तब अगर लोगों का निर्णय देखते हुए नैतिकता की बात करते तो भाजपा-शिवसेना की सरकार बन जाती लेकिन इन्होंने कुर्सी पाने के लिए फैसला लिया. नैतिकता की बात करना उद्धव ठाकरे को शोभा नहीं देता. मैं उनसे पूछता हूं कि भाजपा के साथ चुनकर आए और मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस और NCP के साथ जब गए तब नैतिकता को कौनसे डब्बे में डाला था? उन्होने डर के कारण इस्तीफा दिया था.

एकनाथ शिंदे ने कहा कि इस्तीफा आपने(उद्धव ठाकरे) किया था. आपके पास अल्पमत था, कितने लोग बचे थे? उन्हें पता था उनकी हार हो जाएगी और तब राज्यपाल ने निर्णय लिया जो सही था…शिवसेना और बालासाहेब की विचारधारा को बचाने का काम हमने किया है.

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