एक तरफ सरकार (Government) बच्चों का भविष्य संवारने के लिए हर दिन कुछ नया कर रही है. इस बार के बजट (Budget)की बात करें तो बजट की घोषणा के दौरान भी स्कूल के बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए डिजिटल लाइब्रेरी जैसी कई चीजों की घोषणा की गई. वहीं दूसरी तरफ एमपी (Madhya Pradesh)के सागर (Sagar) में प्रशासन की लापरवाही सामने आई है. जहां पर एक सरकारी स्कूल में बच्चों के पास खाने लिए बर्तन नहीं है और वो मजबूरन कागज (Paper)पर खाना खा रहें हैं.
बर्तन नहीं कैसे खाएंगे बच्चे
एमपी सरकार स्कूली बच्चों को लेकर काफी प्रयासरत है डिजिटल लाइब्रेरी को लेकर शिवराज सिंह ने अपना बयान दिया था उसमें कहा था कि इस लाइब्रेरी के जरिए आने वाले दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में काफी ज्यादा बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा हाल में ही हाइटेक किचन का उद्घाटन किया गया था जिसके जरिए बच्चों को पोषण युक्त दिया जा रहा है लेकिन सागर जिले के एक सरकारी स्कूल में मध्याह्न भोजन खाने के लिए थाली ही नहीं है ऐसे में बच्चे कागज पर खाना खा रहें है जो स्थानीय प्रशासन की गैर जिम्मेदारी को दिखा रहा है.
कैसे संवरेगा बच्चों का भविष्य
ये सवाल उठता है कि आखिर जब इस तरह से लापरवाही होगी तो बच्चों के दिमाग पर कैसा असर पड़ेगा. कागज की गंदगी की वजह से उन्हें स्वास्थ्य संबधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा. बच्चों को दोपहर के भोजन के लिए विभाग की तरफ से थाली नहीं मुहैय्या कराई गई है. ज्यादा तर बच्चे खाना खाने के लिए घर से अपना बर्तन लेकर आते हैं और जो बच्चे बर्तन नहीं लेकर आए उन्हें कागज पर ही खाना परोस दिया गया. पूरा मामला सागर जिले के कन्या संकुल केंद्र गौरझामर के खामखेड़ा मिडिल एकीकृत शाला स्कूल का बताया जा रहा है.