Toran Kumar reporter
मध्य प्रदेश में एंबुलेंस माफिया का मुद्दा गंभीरता से उभर कर सामने आ रहा है. रिपोर्टों के अनुसार सरकारी अस्पतालों में भर्ती के बजाए मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजा जा रहा है. जहां एंबुलेंस चालकों को कमीशन दिया जाता है. ऐसा ही एक मामला सामने आने के बाद जबलपुर के कलेक्टर ने 4 एंबुलेंस कर्मियों को बर्खास्त कर दिया है.
ये है मामला
जबलपुर के सिहोरा में हुए एक हादसे के बाद एंबुलेंस चालक घायलों को मेडिकल कॉलेज के बजाए निजी अस्पताल लेकर गए, क्योंकि मुख्यमंत्री ने उनके इलाज के लिए ₹50,000 की घोषणा की थी. इसकी जानकारी जैसे ही कलेक्टर को मिली को उन्होंने तुरंत एक्शन लिया.
कलेक्टर ने कार्रवाई करते हुए 108 एंबुलेंस के 4 चालक को बर्खास्त कर दिया, जो इस लालच में घायलों को निजी अस्पताल में भर्ती करा रहे थे.
दिया सुझाव
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) जबलपुर के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत बिश्नोई ने इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को सुझाव दिया है कि ओला/उबर जैसी एक ऐप बनाई की जाए, जिससे एंबुलेंस के मूवमेंट पर नज़र रखी जा सके. इससे यह पता चलेगा कि मरीज सही अस्पताल में पहुंचे और एंबुलेंस चालकों की मनमानी को रोका जा सके.यह रिपोर्ट स्वास्थ्य सेवाओं में हो रही लूट को उजागर करती है और एक नए सिरे से इस पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर देती है. ताकि मरीजों को उचित इलाज मिल सके और एंबुलेंस चालकों के लालच के कारण उनकी जान खतरे में न पड़े.