वर्ष 1984 में सियाचिन की चोटी पर गई यूनिट में कई जवानों के पार्थिव शरीर उनके घरों तक पहुंच चुके हैं। अब भी दो परिवार ऐसे हैं जो उम्मीदों के सहारे अपनों का इंतजार कर रहे हैं।
वर्ष 1984 में सियाचिन की चोटी पर गई यूनिट में कई जवानों के पार्थिव शरीर उनके घरों तक पहुंच चुके हैं। अब भी दो परिवार ऐसे हैं जो उम्मीदों के सहारे अपनों का इंतजार कर रहे हैं।