सत्ता के 'लाडले' की मुलायम से दोस्ती की कहानी

लखनऊ
बॉलिवुड और राजनीति के बीच की दूरी खत्म कर एक नया कॉम्बिनेशन तैयार करने वाले कद्दावर नेता अमर सिंह (Amar Singh Dies) का निधन हो गया। अमर सिंह का लंबे वक्त से सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। समाजवादी पार्टी (एसपी) के समर्थन से राज्यसभा जाने वाले अमर सिंह एक जमाने में सिर्फ एसपी ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की सत्ता के सबसे बड़े प्रबंधक कहे जाते थे। बीमारी के बीच अमर सिंह ने ऐंड फैमिली () से माफी भी मांगी थी। वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा सांसद अमर सिंह के निधन पर शोक जताया है। उन्‍होंने कहा कि वह एक ऊर्जावान सामाजिक शख्सियत थे। कई राजनीतिक घटनाओं के साक्षी रहे। उनके निधन पर दुखी हूं।

अमर, मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) के संपर्क में 90 के दशक में आए थे। उन्हें देश के नामचीन उद्योगपतियों में गिना जाता था। हालांकि, उनकी असल पहचान राजनीति के किंगमेकर के रूप में होती थी। समाजवादी पार्टी (एसपी) के संरक्षक और पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव को सीएम की कुर्सी तक पहुंचाने वाले अमर सिंह 90 के दशक से ही यूपी के कद्दावर राजनीतिक चेहरों के रूप में जाने जाते थे। मुलायम सिंह यादव के सबसे करीबी रहे अमर सिंह एक समय समाजवादी पार्टी की नंबर दो पोजिशन के नेता भी रहे। अमर की सियासत का रसूख यह था कि एक जमाने में उन्होंने अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन से लेकर तमाम बड़े चेहरों को समाजवादी पार्टी के झंडे के नीचे खड़ा करा लिया था।

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और वह मीटिंग बनी दोस्ती की वजह
अमर सिंह से मुलायम की मुलाकात तब हुई जब मुलायम सिंह यादव देश के रक्षामंत्री थे। साल 1996 में अमर सिंह और मुलायम सिंह एक जहाज में मिले थे। हालांकि अनौपचारिक तौर पर मुलायम और अमर की मुलाकात पहले भी हुई थी, लेकिन राजनीतिक जानकार कहते हैं कि फ्लाइट की उस मीटिंग के बाद से ही अमर और मुलायम की नजदीकियां बढ़ी थीं। अमर सिंह की सुब्रत राय सहारा और अनिल अंबानी से भी गहरी दोस्ती रही।

SP में महत्वपूर्ण भूमिका में भी रहे अमरबड़े उद्योगपति और पूर्वांचल के रसूखदार ठाकुर नेता के रूप में पहचाने जाने वाले अमर सिंह कुछ सालों में मुलायम सिंह के इतने खास बन गए कि उन्हें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद पर बैठा दिया गया। राजनीतिक जानकार कहतें है कि साल 2000 के आसपास अमर सिंह का समाजवादी पार्टी में दखल बढ़ा और टिकटों के बंटवारे से लेकर पार्टी के कई बड़े फैसलों में उन्होंने मुलायम के साथ प्रमुख भूमिका निभाई।

मुंबई में घर लेकिन साख पूर्वांचल में भी
आजमगढ़ के तरवा इलाके में 27 जनवरी 1956 को जन्मे अमर सिंह पूर्वांचल के ‘बाबू साहब’ कहे जाते थे। ठाकुर वोटरों के बीच एक बड़े नेता के रूप में प्रशस्त हुए अमर ने भले ही अपना लंबा जीवन महाराष्ट्र के मुंबई शहर में बिताया हो, लेकिन पूर्वांचल की सियासत में अमर का दखल इस बात से ही सिद्ध था कि वह 90 के दशक में यहां के रसूखदार वीर बहादुर सिंह और चंद्रशेखर जैसे नेताओं के सबसे करीबी लोगों में एक कहे जाते थे। वीर बहादुर सिंह के कारण ही अमर सिंह की भेंट मुलायम सिंह यादव से हुई थी।

बना ली थी राष्ट्रीय लोकमंच लेकिन…
दो दशक तक पूर्वांचल की सियासत में बड़ी भूमिका निभाने वाले अमर को जब साल 2010 में समाजवादी पार्टी से निष्कासित किया गया तो उन्होंने पू्र्वांचल को अलग राज्य घोषित करने की मांग के साथ अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकमंच का गठन किया। लोकमंच ने आजमगढ़ समेत पूर्वांचल के कई जिलों में बड़ी सभाएं भी की, लेकिन कोई खास असर नहीं दिखा सकी।

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