यह हकीकत उत्तर प्रदेश के इटावा (Etawah Latest News) जनपद के क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चकरनगर इलाके की है। यहां आजादी से लेकर अबतक, कब्रिस्तान के लिए तरस रहे हैं। कब्रिस्तान न होने की वजह से लोग मरने वालों के शवों को घरों में ही दफनाने को मजबूर हैं। वर्षों से चली आ रही इस समस्या की वजह से इलाके के हर घर में कब्रों का ढेर लग गया है। मजबूरी की वजह से ग्रामीण कब्रों के पास ही रहने और खाने को मजबूर हैं। ग्रामीण शासन-प्रशासन से कब्रिस्तान की मांग करते-करते हिम्मत हार चुके हैं। फिर भी उनकी इस मांग को सुनने के लिए कोई भी तैयार नहीं है।
ग्रामीण बादशाह अली ने बताया कि आजादी से लेकर अभी तक कब्रिस्तान न बन पाने की वजह से उन्होंने अपने परिवार में मरने वाले लोगों के शवों को घरों में ही दफनाया है। उन्होंने बताया, ‘घर में अभी तक पूर्वजों समेत 30 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है और सभी की लाशें घरों में ही दफनाई गई हैं। अब मुर्दो के साथ रहने की आदत सी हो गई है।’
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‘जहां लाश दफन, बगल में बनता है खाना’छोटी बेगम ने बताया कि उनके घर में उनके ससुर समेत कई लोगों की लाशें दफन हैं। घर में रसोई के बगल में ही लाशें दफन हैं, फिर भी वह इसी घर में रहने-खाने को मजबूर हैं। हालांकि, इसके सिवा कोई रास्ता भी नहीं है। वह कहती हैं, ‘हमारे पुरखे इन्हीं मकानों में दफन हैं। पहले गांव में कहीं भी कब्रिस्तान न होने के वजह से मुर्दों को घर में दफनाने का रिवाज मजबूरी में चलाना पड़ रहा है।’
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‘नेताओं और प्रशासन ने नहीं सुनी फरियाद’ग्रामीण महिला तारा बेगम ने बताया कि गांव में कब्रिस्तान न होने की वजह से घर में ही सभी की लाशें दफन हैं। उन्होंने बताया कि वर्षों से चली आ रही इस समस्या के समाधान के लिए हम लोग कई बार राजनेताओं से मांग कर चुके है। फिर भी किसी प्रकार की कोई सुनवाई नहीं हुई है।