Toran Kumar reporter..26.6.2023/✍️
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक शख्स को तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया है. दरअसल शख्स को पिछले साल दिसंबर में उसी अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था, जिसके लिए वह पहले ही सात साल और 14 साल की सजा पहले काट चुका था.
अदालत ने कहा, ‘ऐसा अपीलकर्ता द्वारा पहले ही भुगती जा चुकी सजा के बारे में अपेक्षित जानकारी के अभाव के कारण हुआ.’ अपीलकर्ता राज नारायण को 2003 में बलात्कार के एक मामले में निचली अदालत ने सात साल जेल की सजा सुनाई थी. उसी साल उनके वकील ने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की, लेकिन मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी.
इस बीच, उन्होंने 2009 में अपनी सजा पूरी कर ली. उन्होंने सजा काटने के बाद अपनी रिहाई के बारे में हाईकोर्ट को जानकारी नहीं दी. बाद में उनकी अपील में अपीलकर्ता की स्थिति जानने के लिए समय-समय पर नोटिस जारी किए गए.
इसके परिणामस्वरूप, इस तथ्य से अनजान कि अपीलकर्ता पहले ही मामले में दी गई सजा काट चुका है, हाईकोर्ट ने 15 नवंबर, 2022 को उसके खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया. पुलिस ने दिसंबर 2022 में उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और तब से वह जेल में ही है.
मामले के अजीबोगरीब तथ्यों को देखते हुए, अदालत ने 15 नवंबर, 2022 के आदेश को वापस लेने की अपनी शक्ति का प्रयोग किया, उसके अनुसरण में की गई सभी कार्रवाइयों को रद्द कर दिया और अपीलकर्ता की तत्काल रिहाई का आदेश दिया.