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नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ जारी टकराव पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर लद्दाख में चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के साथ तनाव कम होता नजर नहीं आया तो फिर मिलिट्री एक्शन संभव है। लेकिन अगर दोनों देशों के बीच जारी सेना और राजनयिक वार्ता असफल रही, तभी इस विकल्प को आगे बढ़ाया जाएगा। आपको बता दें कि पांच मई से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच टकराव की स्थिति है और दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं।
अगर नहीं मानी चीनी सेना तो फिर होगा एक्शन जनरल रावत ने कहा, ‘एलएसी पर अतिक्रमण इस पर बने अलग-अलग नजरिए की वजह से है। रक्षा सेवाओं को जिम्मेदारी दी गई है कि वो इस पर नजर रखें और अतिक्रमण को घुसपैठ में बदलने से रोकने के लिए सर्विलांस को अंजाम देती रहें। अभी तक सरकार की तरफ से यही कोशिश की जा रही है कि इस मसले को शांतिपूर्ण तरीके से किसी भी गतिविधि और घुसपैठ को रोकने की कोशिशें की जा रही हैं। अगर एलएसी पर यथा स्थिति को बहाल करने में सफलता नहीं मिली तो फिर मिलिट्री एक्शन के लिए तैयार रहना चाहिए।’ उन्होंने आगे कहा, ‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल और रक्षा सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोग तमाम विकल्पों पर नजर दौड़ा रहे हैं ताकि पीएलए लद्दाख में यथास्थिति को बहाल कर दे।’सीडीएस रावत साल 2017 में 73 दिन तक चले डोकलाम विवाद के समय सेना प्रमुख थे। उन्होंने इस बात से भी इनकार कर दिया है कि देश की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार एजेंसियों के बीच किसी तरह की तालमेल की कोई कमी है। उन्होंने कहा है कि उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर भारत की सीमा रेखा बहुत विशाल है और इस बीच हिंद महासागर का क्षेत्र भी है और सभी को बराबर निगरानी की जरूरत है।