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नई दिल्ली: 5 महिनो से बंद माता वैष्णो देवी को फिर से शुरू कर दिया गया है। भक्त आज से वैष्णो देवी का यात्रा कर पाएंगे। हालांकि कोरोना वायरस को देखते हुए यात्रा के लिए खास प्रबंध किए गए है। इसके तहत अब प्रतिदिन सिर्फ 2000 भक्तों को ही यात्रा करने की अनुमति होगी। साथ ही जिन्होंने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया होगा, वे ही यात्रा कर पाएंगे।
रविवार को वैष्णो देवी की यात्रा का पहला दिन है। पहले दिन के कारण श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम है। लेकिन उनको भी नियमों का पालन करके ही आगे जाना पड़ रहा है। वैष्णो देवी के दरबार जाने के लिए श्रद्धालुओं को मास्क पहनना जरूरी है और साथ ही जो श्रद्धालु बाहरी राज्यों से आएंगे उनका कोविड टेस्ट भी कराया जाएगा। वहीं जो जम्मू-कश्मीर के कोरोना के रेड जोन से आने वाले श्रद्धालु होंगे, उनका भी कोरोना टेस्ट होगा।
5 महीने बाद वैष्णो देवी की यात्रा शुरू होने पर श्रीमाता वैष्णो धाम कटरा पहुंचने वाले श्रद्धालु काफी खुश हैं। उन्हें 5 महीने के बाद मौका मिला है कि वह माता के दर्शन कर पाएंगे। श्रद्धालुओं का कहना है कि वह माता के दरबार में यही दुआ करेंगे कि वो पूरे देश को दुनिया को कोविड-19 से निजात दिलाएं।
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड (एसएमवीएसबी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रमेश कुमार ने बताया कि पहले सप्ताह में हर रोज अधिकतम 2,000 तीर्थयात्रियों की सीमा तय की गई है, जिनमें से 1,900 यात्री जम्मू-कश्मीर और शेष 100 यात्री बाहर के होंगे। कुमार ने बताया कि इसके बाद हालात की समीक्षा की जाएगी और उसी के अनुसार फैसले किए जाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘यात्रा पंजीकरण खिड़की पर भीड़ एकत्रित होने से रोकने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण के बाद ही लोगों को यात्रा की अनुमति दी जाएगी।’
कुमार ने बताया कि यात्रियों के लिए अपने मोबाइल फोन में ‘आरोग्य सेतु ऐप’ डाउनलोड करना अनिवार्य होगा। चेहरे पर मास्क और कवर अनिवार्य होगा। यात्रा के प्रवेश बिंदुओं पर यात्रियों की थर्मल जांच की जाएगी। उन्होंने बताया कि 10 साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों और 60 साल से अधिक आयु के लोगों के लिए यात्रा नहीं करने का परामर्श जारी किया गया है। हालात सामान्य होने के बाद इस परामर्श की समीक्षा की जाएगी।
कुमार ने बताया कि कटरा से भवन जाने के लिए बाणगंगा, अर्धकुंवारी और सांझीछत के पारम्परिक मार्गों का इस्तेमाल किया जाएगा और भवन से आने के लिए हिमकोटि मार्ग-ताराकोट मार्ग का इस्तेमाल किया जाएगा।