(आईएसए) की स्थापना के रूपरेखा समझौते में संशोधन के इस माह के लागू होने के बाद संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के समूह में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। आईएसए की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलोंद ने नवंबर 2015 में पेरिस में सीओपी-21 के दौरान संयुक्त रूप से की थी।
दुनिया के 87 देश इस अलायंस से मेंबर
इस अलायंस का मकसद सौर ऊर्जा के तीव्र प्रसार के जरिये पेरिस जलवायु समझौते को लागू करने में योगदान करना था। अभी तक 87 देशों ने आईएसए रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किया है और 67 देशों ने अनुमोदन पत्र सौंपा है। कटिबंधों के पार आईएसए की सदस्यता को सर्वभौम बनाने के लिये गठबंधन के महासभा की 3 अक्तूबर 2018 को हुई पहली बैठक में रूपरेखा समझौते में संशोधन को अंगीकार किया गया था ताकि सदस्यता के दायरे को बढ़ाया जाए और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य इसमें शामिल हो सके।
15 जुलाई से प्रभाव में आया संशोधन
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि आईएसए के सदस्य देशों से जरूरी संख्या में अनुमोदन/ मंजूरी/ स्वीकार्यता हासिल करने के बाद संशोधन 15 जुलाई 2020 से प्रभाव में आ गया । इसमें कहा गया है कि आईएसए रूपरेखा समझौते में संशोधन लागू होने के बाद अब संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को कटिबंधों के पार गठबंधन में शामिल होने की अनुमति होगी।
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