एमपी कांग्रेस में अभी तक पहले पायेदान के नेताओं में गुटबाजी थी। दूसरी पीढ़ी के नेता उन्हीं खेमों में समाहित रहते थे। उपचुनाव से पहले एमपी में दूसरी पीढ़ी का लीडर कौना होगा, इसे लेकर बहस शुरू हो गई है। कुछ नेता खुद दावेदारी कर रहे हैं, तो कुछ के समर्थक मैदान में उतर आए हैं। वहीं, कुछ के पिता भी अपने बेटों को राजनीति में स्थापित करने की जुगत में लगे हैं।
अभी तक दूसरी पीढ़ी के नेताओं की दावेदारी पर्दे के पीछे ही थी। लेकिन पूर्व सीएम के सांसद बेटे नकुलनाथ ने अपनी दावेदारी से इसे हवा दे दी है। उसके बाद दूसरे नेताओं के समर्थक भी मैदान में उतर आए हैं। दरअसल, छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ ने कहा था कि उपचुनाव में प्रदेश के युवाओं का नेतृत्व मैं करूंगा। वहीं, और जयवर्धन सिंह अपने क्षेत्र के युवाओं का नेतृत्व करेंगे। यानी कि नकुलनाथ का संदेश साफ है कि वह प्रदेश में दूसरी पीढ़ी के टॉप नेता के रूप में खुद को स्थापित करना चाहते हैं।
जीतू के समर्थक आए सामने
एमपी में जीतू पटवारी लंबे अर्से से संघर्ष कर रहे हैं। दिल्ली में उनकी पकड़ ठीक ठाक है। राहुल गांधी के करीबी हैं। कमलनाथ की सरकार में जीतू पटवारी मंत्री भी थे। सत्ता जाने के बाद भी वह आम लोगों की समस्याओं को लेकर संघर्षरत रहते हैं। नकुलनाथ के दावेदारी के बाद जीतू पटवारी के समर्थक भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगे। जीतू के समर्थकों ने लिखा कि ना राजा, ना व्यापारी, अबकी बार जीतू पटवारी।
जीतू ने दी सफाई
वहीं, पोस्ट वायरल होने पर मीडिया से बात करते हुए जीतू पटवारी ने सफाई दी है। उन्होंने इस पोस्टर के पीछे बीजेपी का हाथ बताया है। जीतू पटवारी ने कहा कि हमें, नकुलनाथ और अरुण यादव को कोई आवश्यकता नहीं है। हमारे नेता कमलनाथ हैं। कमलनाथ जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी एकजुटता से काम कर रही है। हम चुनाव में बीजेपी को फिर से हरा कर सत्ता में आएंगे। नकुलनाथ ने जो संदर्भ दिया है कि हम सब युवा मिल कर प्रदेश का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने सही कहा है।
क्यों छिड़ी है ये जंग
दरअसल, के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस के पास केंद्रीय और राज्य स्तर पर चेहरे का आभाव है। कमलनाथ 73 साल के हो गए हैं और माना जा रहा है कि वो अब राजनीति से रिटायरमेंट की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं, पूर्व सीएम राज्यसभा सांसद हैं और उनकी उम्र भी 73 साल हो चुकी है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह अब राजनीति से रिटायरमेंट की तरफ बढ़ रहे हैं। वहीं, सुरेश पचौरी 68 साल के हैं और भोजपुर विधानसभा सीट से हार के बाद उनका पक्ष कमजोर हुआ है। ऐसे में युवाओं को लेकर मध्यप्रदेश में बहस छिड़ गई है कि युवाओं का नेतृत्व कौन करेगा।
कैसे शुरू हुआ मामला
9 जुलाई को दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह का जन्मदिन था। इस दौरान राजधानी भोपाल में उन्हें मध्यप्रदेश का भावी सीएम बताते हुए पोस्टर लगाए गए। हालांकि उनकी नाराजगी के बाद पोस्टर भी उतार दिए गए थे। जयवर्धन ने कभी इसे लेकर कोई बयान भी नहीं दिया। इस पोस्टर के बाद राजनीति शुरू हुई। जिसके बाद कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ का सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ।