झारखंड सरकार के पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक की लिखी पुस्तक ‘मेनहर्ट नियुक्ति घोटाला, लम्हों की खता’ का विमोचन रांची में उनके आवास पर किया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि, झारखंड सरकार के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार सिंह उपस्थित हुए। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि पुस्तक में मुख्य रूप से परामर्शी के चयन में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार को उजागर किया गया है। इससे झारखंड के निवासियों को मेनहर्ट नियुक्ति में हुए घोटाले की वास्तविक जानकारी मिल पाएगी। उन्होंने सरयू राय की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके जैसे व्यक्ति ही इतनी हिम्मत और निष्पक्ष भाव से किताब को लिख सकते है।
‘मेनहर्ट नियुक्ति घोटाला’ पर सरयू राय की बुक
झारखंड सरकार के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार सिंह ने आगे कहा कि सरयू राय राज्य में एक ऐसे व्यक्त्वि के रूप में पहचाने जाते हैं, जिन्होंने पहले भी कई घोटालों को उजागर करने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। यह पुस्तक हमारे समाज विशेषकर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को आईना दिखाने का काम करेगी। बुक के लेखक सरयू राय ने बताया कि उन्होंने इसे कोविड-19 के पहले और दूसरे लॉकडाउन की अवधि में लिखा। आमतौर पर जो पुस्तकें लिखी जाती है, वे पाठकों की रूचि के हिसाब से होती है। इसलिए पुस्तक को 20 खंडों में बांटा गया है। उन्होंने कहा कि कई लोग परिचित होंगे कि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद जब रांची को राजधानी घोषित किया गया। उस समय के और आज के रांची में बहुत अंतर दिखाई पड़ता है।
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पुस्तक में क्या है, खुद सरयू राय ने बतायासरयू राय ने बताया कि रांची के कुछ समाजसेवी की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने 2003 में अहम आदेश दिया। इसमें राज्य सरकार को अन्य राजधानियों की तरह राजधानी रांची में भी सिवरेज-ड्रेनेज प्रणाली विकसित करने के लिए कहा। उस आदेश के बाद तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह के आदेशानुसार परामर्शी बहाल करने के लिए टेंडर निकाल कर दो परामर्शियों का चयन किया गया। इसके बाद सरकार बदल गई। 2005 में अर्जुन मुंडा सरकार में नगर विकास मंत्री रघुवर दास बनाए गए। उन्होंने डीपीआर फाइनल करने के लिए 31 अगस्त को एक बैठक बुलाई। फिर उसमें फैसला लिया गया कि पहले से चयनित परामर्शी को हटा दिया जाए।
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बुक से पूर्व सीएम रघुवर दास की बढ़ सकती है मुश्किल
सरयू राय ने आगे कहा कि उन दो परामर्शियों में से एक ने हाईकोर्ट का रुख किया। झारखंड हाईकोर्ट ने आर्बिट्रेशन एक्ट के तहत एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश को आरबिट्रेटर नियुक्त किया। आरबिट्रेटर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला दिया कि ओ.आर.जी. परामर्शी को हटाने का फैसला सही नहीं था। सरयू राय ने बताया कि नगर विकास विभाग ने ग्लोबल टेंडर के आधार पर फिर से टेंडर निकाल कर मेनहर्ट नाम के एक परामर्शी का चयन किया। राय ने बताया कि ग्लोबल टेंडर में विश्व बैंक के मानदंडों के हिसाब से त्रिस्तरीय टेंडर पद्धति होती है। किंतु उस पद्धति का भी अनुपालन नहीं किया गया। उस समय से अब तक रांची में सिवरेज-ड्रेनेज का निर्माण नहीं हुआ।